चम्बा – भूषण गुरूंग
चंबा के राष्ट्रीय वेटलिफ्टर कल्याण सिंह के पास ताकत, जज्बा और प्रतिभा है, लेकिन कमजोर आर्थिक स्थिति और मां की किडनी की बीमारी ने उनके सपनों की राह में मुश्किलें खड़ी कर दी हैं। जिन हाथों में स्वर्ण पदकों की चमक होनी चाहिए थी, वे आज घर चलाने के लिए मेलों में कुश्ती लड़ने को मजबूर हैं।
21 वर्षीय कल्याण सिंह भटियात विधानसभा क्षेत्र की तारागढ़ पंचायत के रहने वाले हैं। उन्होंने अपने दम पर राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर पांच स्वर्ण समेत सात पदक जीतकर नाम रोशन किया है।
कल्याण के पिता देवराज किसान हैं। मां कौशल्या देवी की दोनों किडनियां फेल हो चुकी हैं। उनकी नियमित डायलिसिस जालंधर में चल रही है। इलाज और घर के खर्चों के बीच परिवार की आर्थिक स्थिति बिगड़ गई है।
प्रोफेशनल खिलाड़ी के लिए जरूरी डाइट और फिटनेस का खर्च करीब 50 हजार रुपये मासिक बैठता है। इसे पूरा कर पाना कल्याण के लिए संभव नहीं है।
कल्याण सिंह ने बताया कि यदि सरकार या खेल विभाग से उन्हें डाइट और नियमित प्रशिक्षण का सहयोग मिले, तो वे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी पदक ला सकते हैं।
वे भावुक होकर कहते हैं, इच्छाशक्ति और मेहनत की कमी नहीं है, बस सहारे की जरूरत है। खिलाड़ी का कहना है कि अब तक जिन प्रतियोगिताओं में उन्होंने देश का नाम ऊंचा किया, उनके लिए की गई घोषणाओं के तहत उन्हें कोई मदद नहीं मिल पाई है।
…तो चमकेगा नाम
चंबा जिले में विकास की बातें सड़कों, सुरंगों और योजनाओं तक ही सीमित हैं। यदि सरकार या खेल विभाग कल्याण सिंह की मदद को आगे आए, तो यह खिलाड़ी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश का नाम ऊंचा कर सकता है। उनमें क्षमता और जुनून दोनों हैं, बस जरूरत है नियमित प्रशिक्षण और आहार सहायता की।
मुख्य उपलब्धियां
- जुलाई 2019, समोआ (एपिया): कॉमनवेल्थ चैंपियनशिप : रजत पदक
- जनवरी 2019, पुणे: खेलो इंडिया यूथ गेम्स – स्वर्ण पदक
- दिसंबर 2018, नागपुर : यूथ एंड जूनियर नेशनल – स्वर्ण पदक
- दिसंबर 2018, धर्मशाला : जूनियर स्टेट चैंपियनशिप – स्वर्ण पदक
- मई 2017, हमीरपुर : हिमाचल ओलंपिक – रजत पदक
- नवंबर 2017, इंदौरा : सीनियर राज्य स्तरीय – स्वर्ण पदक
- नवंबर 2015, हमीरपुर : राज्य स्तरीय – स्वर्ण पदक

