नैनादेवी – सुभाष चंदेल
कीरतपुर से नेरचौक के लिए बन रहे फोरलेन के तहत गांव मेहला में कम्पनी द्वारा खुले में फेंकी जा रही मिटटी और पत्थरों पर स्थानीय ग्रामीणों ने सवाल खड़े कर दिए हैं।
ग्रामीणों का कहना है कि फोरलेन के तहत मेहला गांव के निकट कम्पनी द्वारा की जा रही पहाड़ी कटिंग से निकलने वाली मिटटी को कम्पनी द्वारा डंपिंग साईट पर नहीं फेंका जा रहा है।
ग्रामीण कहते हैं कि कम्पनी इस वेस्ट मेटेरियल को साथ लगती वन भूमि व गोबिंद सागर झील में फेंक रही है। कम्पनी द्वारा यह सिलसिला काफी दिनों से चलाया जा रहा है लेकिन वन विभाग के किसी भी अधिकारी द्वारा मौके का दौरा नहीं किया जा रहा है।
ग्रामीणो में रोष है कि इससे वन भूमि तो खराब हो ही रही है साथ में गोबिंद सागर झील में भी यह सारा मिटटी पत्थर फेंककर झील को सुन्दरता को बिगाड़ा जा रहा है।
गांव मेहला के ग्रामीणों ने सरकार से गुहार लगाई है कि कम्पनी के इस मनमाने रवैये पर अंकुश लगाने के साथ ही जिम्मेदार वन अधिकारीयों पर भी कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए।