शिमला – नितिश पठानियां
हिमाचल प्रदेश प्रारंभिक शिक्षा विभाग में शास्त्री अध्यापकों की भर्ती प्रक्रिया गत वर्ष में शुरू हुई थी, जिसमें 194 पदों के लिए बैच वाइज भर्ती प्रक्रिया की गई थी। हालांकि, विभाग की लापरवाही के कारण यह भर्ती प्रक्रिया कोर्ट में उलझ गई।
दरअसल, 2011 के बाद प्रदेश में सभी प्रकार की शिक्षक भर्तियों में राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (NCTE) के नियमों का पालन अनिवार्य किया गया, लेकिन शास्त्री अध्यापक भर्ती के लिए इन नियमों को अभी तक संशोधित नहीं किया गया है।
जब वर्तमान सरकार ने इन पदों के लिए विज्ञप्ति जारी की, तो बिना नियमों में संशोधन किए ही विज्ञप्ति जारी कर दी गई और काउंसलिंग प्रक्रिया भी पूरी कर ली गई। लेकिन विभाग की वेबसाइट पर शास्त्री अध्यापक भर्ती के नियमों के संशोधित न होने के कारण भर्ती प्रक्रिया को हाई कोर्ट में चुनौती दी गई।
न्यायालय ने इस भर्ती अधिसूचना को रद्द करने के आदेश जारी कर दिए है। यदि विभाग ने इस भर्ती के नियमों को सही ढंग से संशोधित किया होता और फिर विज्ञप्ति जारी की होती, तो आज युवाओं को मानसिक तनाव का सामना न करना पड़ता।
इस मुद्दे पर प्रशिक्षित बेरोजगार शास्त्री अध्यापक अनीश शर्मा, मुकेश शर्मा, विनोद , अमित शर्मा, रिक्की कुमार, विकास, पंकज विशाल, उषा, निशा, रजनी और अनिता कुमारी ने सरकार और विभाग से आग्रह किया है कि भाषा अध्यापकों की भर्ती के नियमों की तरह शास्त्री अध्यापक भर्ती के नियमों में भी संशोधन किया जाए।
इसके बाद ही भर्ती प्रक्रिया को पुनः शुरू किया जाए ताकि यह बार-बार कोर्ट के मामलों में न उलझे। विभाग की नाकामी से जहां एक ओर भर्ती प्रक्रिया अटकी हुई है, वहीं दूसरी ओर योग्य उम्मीदवारों का भविष्य भी अनिश्चितता के दौर में फंसा हुआ है।