नूरपुर में बिजली बोर्ड का सर्किल दफ्तर बंद होने से फिर कटेंगे डलहौजी के चक्कर

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लंबी जद्दोजहद के बाद नूरपुर में खुले बिजली बोर्ड के परिचालन वृत्त (सर्किल) पर कांग्रेस के सत्ता में आते ही ताला जड़ दिया गया। डलहौजी सर्किल के वर्क लोड को कम करके नूरपुर, इंदौरा, जवाली और फतेहपुर विधानसभा क्षेत्रों के लोगों की सुविधा के मद्देनजर नूरपुर में खोले गए इस परिचालन वृत्त को महज छह माह के भीतर ही बंद कर दिया गया।

नूरपुर – देवांश राजपूत

हिमाचल प्रदेश में जनता की सहूलियत के लिए खोले गए सरकारी कार्यालय बंद होने से लोगों की मुश्किलें बढ़ गई हैं। इन्हें घरद्वार पर मिल रही सुविधाओं से महरूम होना पड़ रहा है। लंबी जद्दोजहद के बाद नूरपुर में खुले बिजली बोर्ड के परिचालन वृत्त (सर्किल) पर कांग्रेस के सत्ता में आते ही ताला जड़ दिया गया।

डलहौजी सर्किल के वर्क लोड को कम करके नूरपुर, इंदौरा, जवाली और फतेहपुर विधानसभा क्षेत्रों के लोगों की सुविधा के मद्देनजर नूरपुर में खोले गए इस परिचालन वृत्त को महज छह माह के भीतर ही बंद कर दिया गया। वहीं, इस कार्यालय के सुचारु रूप से संचालन के लिए अधीक्षण अभियंता (एसई) समेत 16 स्टाफ पदों की स्वीकृति के साथ आधारभूत ढांचे के लिए बाकायदा बजट भी जारी कर दिया गया था।

बावजूद इसके नई सरकार ने नूरपुर सर्किल समेत 3 सर्किल, 12 डिवीजन और 17 सब डिवीजन कार्यालय डिनोटिफाइड कर दिए। इन डिवीजन से डलहौजी की दूरी 100 से 170 किलोमीटर पड़ती है। अब लोगों को फिर अपने काम करवाने के लिए लंबी दूरी तय करनी पड़ेगी।
पिछले वर्ष 20 सितंबर को बिजली बोर्ड के कार्यकारी निदेशक के मार्फत 16 स्टाफ पदों की स्वीकृति के बाद 29 सितंबर को तत्कालीन वन मंत्री राकेश पठानिया ने नूरपुर सर्किल का विधिवत लोकार्पण किया था।
एसई समेत एसओ, सुपरिंटेंडेंट, जेडीएम और सीनियर एक्सईएन की तैनाती के साथ कार्यालय शुरू कर दिया गया था। इससे पहले यह सर्किल दफ्तर डलहौजी में हुआ करता है। इसके तहत डलहौजी समेत चंबा, किलाड़, नूरपुर, जवाली, इंदौरा और फतेहपुर कुल सात डिवीजन आते थे।
वहीं, नूरपुर सर्किल के अस्तित्व में आने के बाद नूरपुर, जवाली, फतेहपुर और इंदौरा डिवीजन अलग कर नया सर्किल कार्यालय खोला गया था।
12 लाख खर्च कर रिहायशी भवन में बनाया था कार्यालय
कार्यालय के सुचारु संचालन के लिए बिजली बोर्ड के रिहायशी भवन पर करीब 12 लाख रुपये खर्च कर कार्यालय में तबदील किया गया था। फर्नीचर के लिए लगभग 2.4 लाख रुपये और कंप्यूटर और अन्य जरूरी सामान पर करीब 8.5 लाख रुपये खर्च हुए हैं। इसके अलावा नूरपुर सर्किल के लिए गाड़ी भी खरीदी गई थी, जो अब किसी दूसरी जगह शिफ्ट कर दी गई है।

वर्षों बाद मिली सौगात को छीन लिया : अशोक

नूरपुर नगर परिषद के अध्यक्ष अशोक शर्मा ने बताया कि पिछले लंबे अरसे से नूरपुर में बिजली बोर्ड का सर्किल कार्यालय खोलने की मांग हो रही थी। पूर्व वन मंत्री राकेश पठानिया के प्रयासों से नूरपुर को पुलिस जिला और सर्किल दफ्तर की सौगात मिली थी। इसे कांग्रेस ने सत्ता में आते ही छीन लिया।

सहूलियत के लिए बहाल हो सर्किल कार्यालय : हरदीप

जिला परिषद सदस्य हरदीप सिंह ने कहा कि नूरपुर में बिजली बोर्ड का सर्किल ऑफिस खुलने से अकेले नूरपुर क्षेत्र को ही नहीं, बल्कि इंदौरा, जवाली व फतेहपुर क्षेत्रों को भी सहूलियत मिली थी। इससे पहले चारों डिवीजन डलहौजी सर्किल के तहत आते थे। लिहाजा इसे लोगों की सहूलियत के लिए बहाल किया जाना चाहिए।

आर्थिक बोझ घटाने के लिए सरकार का सही फैसला : सुदर्शन

प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता सुदर्शन शर्मा ने कहा कि पूर्व भाजपा सरकार ने चुनावी फायदे के लिए नूरपुर में विद्युत विभाग का सर्किल कार्यालय खोला था। इसे कांग्रेस सरकार की ओर से रद्द करना व्यवस्था परिवर्तन और आर्थिक बोझ को कम करने के लिए जनहित में लिया गया निर्णायक फैसला है।

राकेश पठानिया, पूर्व वन मंत्री के बोल

नूरपुर में बिजली बोर्ड का सर्किल कार्यालय आधारभूत ढांचा जुटाने, बजट प्रावधान और स्टाफ के पदों की स्वीकृति के बाद ही खोला गया था। इससे नूरपुर समेत जवाली, इंदौरा व फतेहपुर चारों विधानसभा क्षेत्रों की जनता को फायदा मिलना था। नई सरकार ने छह माह के भीतर ही इसे बंद कर दिया। – 

रणवीर सिंह निक्का, नूरपुर के विधायक के बोल

पूर्व भाजपा सरकार ने नूरपुर में सर्किल कार्यालय खोलकर चारों विस क्षेत्रों के लोगों को बड़ी राहत दी थी। इससे पहले लोगों को डलहौजी जाना पड़ता था, लेकिन कांग्रेस ने सत्ता में आते ही इसे डिनोटिफाइड कर दिया। जनहित में सरकार को इसे तुरंत बहाल करना चाहिए। 

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