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कांगड़ा- राजीव जसवाल

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संगीत को जीवन का आधार माना गया है। सृष्टि की प्रत्येक क्रिया में संगीत है। संगीत के क्षेत्र में नई पहचान बनाने वाले कांगड़ा के उभरते हुए कलाकार तबला मास्टर रिशांत घुसर कांगड़ा के वार्ड नंबर 4 के रहने वाले हैं। आइए जानते है संगीत को अपना जीवन बनाने वाले रिशान्त घुसर को जिन्होंने कम उम्र में ही संगीत के क्षेत्र में अपनी पहचान बनाई है।

रिशांत बचपन से ही संगीत में रूची रखते थे। जिसका विशेष कारण परिवार का संगीत के प्रति गहरा लगाव है। रिशांत के पिता राकेश कुमार ढोलक वादक थे जो कि अपने सूबे में प्रसिद्ध कलाकार थे। वह संगीत को अपने जीवन का अहम हिस्सा समझते थे। उनके घर पर अक्सर ढोलक, रियाज़ तथा गयान भी हुआ करता था।

बचपन में ही अपने पिता की नकल करके रिशांत घर में रखे डिब्बों को तबले की तरह बजाय करता था। उनकी इसी रूची को देखर उनके पिता ने उनके जन्मदिन पर एक तबला उपहार में दिया था। तबला में गंभीर लगन होने कारण रिशांत ने पिता के द्वारा सिखाए ताल द्वारा तबला पे हाथ बना लिया।

रिशांत कांगड़ा के कलाकार सुनील सूफी से बचपन से उनकी संगीत एकेडमी में तबला बजाना सीखा करते थे। शास्त्रीय संगीत के विद्वान गुरु विजय नाथ और नीरज गड़वालिया, सनी इंदर से उन्होंने काफी कुछ इस क्षेत्र के बारे में सीखा। रिशांत गवर्नमेंट डिग्री कॉलेज धर्मशाला में बीए म्यूजिक प्रथम वर्ष के छात्र हैं। दशहरा फेस्टिवल, शिवरात्रि फेस्टिवल और भी कई प्रोग्राम में अपनी प्रस्तुति तबला बजाकर कर चुके हैं।

हाल ही में हिमाचल पुलिस प्रशासन द्वारा करवाए गए कार्यक्रम में भी रिशांत ने अपनी प्रस्तुति दी है। छोटे गुलाम अली खान साहब के तबले पर भी वह संगत कर चुके हैं। हिमाचल में कई उभरते कलाकारों के साथ स्टूडियो में रिकॉर्डिंग भी कर चुके हैं। रिशांत हिमाचली, बॉलीवुड और पंजाबी सिंगर के साथ मंच प्रस्तुति दे चुके हैं।

सीएससी उत्सव में गवर्नमेंट डिग्री कॉलेज धर्मशाला द्वारा तबला वादन में रिशांत को विशेष रूप से सम्मानित किया गया है। गणतंत्रता दिवस के उपलक्ष पर इन्होंने अपने भगवान वाल्मीकि म्यूजिकल ग्रुप के साथ प्रस्तुति दी। वह अपने पिता को खो देने के बाद उनके द्वारा दी गई इस अनमोल प्रतिभा को निखार कर इस क्षेत्र में और आगे बढ़ना चाहते हैं।

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