मंडी, 26 अगस्त – नरेश कुमार
हिमाचल प्रदेश देवी-देवताओं की भूमि है, और यहां पर देवी-देवताओं की सदियों पुरानी परंपराओं का निर्वहन आज भी पूरी श्रद्धा भाव के साथ किया जाता है। ऐसी ही एक मान्यता के अनुसार हिन्दी संवत के अनुसार मंडी जनपद में भाद्रपद के महीने में देवताओं और डायनों का युद्ध होता है। जनपद के विभिन्न मंदिरों में रात्रि बारह बजे जाग होम का आयोजन किया जाता है।
जाग में देवी-देवताओं के गुर आग के अंगारों पर चलकर अग्निपरिक्षा देते हैं, और इस दौरान देववाणी भी की जाती है।ऐसी मान्यता है कि ऋषि पंचमी तक जनपद में ज्यादातर देवी-देवताओं के मंदिरों के कपाट बंद रहते हैं। नागपंचमी या ऋषि पंचमी तक देवता डायनों के साथ हार-पासे का खेल खेलकर वापस अपने मंदिरों में विराजमान होते हैं।
इसके साथ ही देवी-देवताओं के गुर के माध्यम से देवता और डायनों के युद्ध व खेल का परिणाम भी बताया जाता है। जिनके आधार पर आने वाले समय में क्षेत्र में सुख शांति को लेकर भी भविष्यवाणी की जाती है। इसी परंपरा के चलते बीती रात को जनपद के पुरानी मंडी के महाकाली मंदिर में भाद्रपद कृष्ण पक्ष की डगवांस को आधा दर्जन देवी के गुरुों ने अग्नि परीक्षा देकर बुरी शक्तियों से लोहा लिया।
वहीं, मंडी जनपद के अन्य मंदिरों में भी इसी प्रकार से देवी-देवताओं के गुरों ने आग के अंगारों पर चलकर अग्निपरिक्षा दी। महाकाली मंदिर पुरानी मंडी की कमेटी के कोषाध्यक्ष गिरजा कुमार ने बताया कि यह देवी-देवताओं और इतिहास से जुड़ी पौराणिक परंपराएं हैं। जिनका निर्वहन आज भी उसी प्रकार किया जा रहा है।
महाकाली मंदिर में 58 पिछले इस जाग होम का आयोजन किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि मान्यताओं के अनुसार अगर देवता विजयी रहते हैं, तो क्षेत्र में सुख शांति बनी रहती है। यदि डायनों की जीत होती है तो इलाके में फसल अच्छी होती है।
बता दें कि देवी-देवताओं और डायनों के छिड़ा महासंग्राम का अंतिम परिणाम पत्थर चौक यानी 30 अगस्त को देव धार में अधिष्ठाता देव सत बाला कामेश्वर के दरबार में सुनाया जाएगा।