मंडी- नरेश कुमार
चेक की राशि दिलाने की एवज में एक कारोबारी से 40 हजार रुपये की रिश्वत लेने के आरोपित सुंदरनगर के तत्कालीन सीनियर सिविल जज (निलंबित) गौरव शर्मा को प्रदेश सरकार ने हिमाचल प्रदेश न्यायिक सेवा से बर्खास्त कर दिया है। गृह विभाग ने यह कदम प्रदेश उच्च न्यायालय की जांच कमेटी की रिपोर्ट मिलने के बाद लिया है।
जांच में गौरव शर्मा पर लगे रिश्वत लेने के आरोप सही पाए गए थे। उच्च न्यायालय ने प्रदेश सरकार से गौरव शर्मा को न्यायिक सेवा से बर्खास्त करने के निर्देश दिए थे। गौरव शर्मा पंजाब के अमृतसर का रहने वाले थे। उनकी अदालत में सुंदरनगर के एक कारोबारी ने चेक बाउंस के कई मामले दायर कर रखे थे।
गौरव शर्मा ने कारोबारी को अपने चैंबर में बुलाकर चेक का पैसा दिलाने की एवज में 40 हजार रुपये की मांग की थी। पैसे लेकर उनके आवास पर आने को कहा था। 31 मार्च 2017 देर शाम कारोबारी अश्वनी उनके आवास पर गया था और रिश्वत की राशि दी थी। इसी दौरान विजिलेंस की टीम ने दबिश देकर गौरव शर्मा को रिश्वत की राशि के साथ रंगे हाथ धर दबोचा था।
विजिलेंस की हिरासत में रहने पर उन्हें निलंबित कर दिया था। जमानत पर रिहा होने के बाद प्रदेश उच्च न्यायालय ने उनकी न्यायिक शक्तियां छीन कर मामले की जांच के लिए एक कमेटी का गठन किया था। गृह विभाग के प्रधान सचिव रजनीश कुमार ने केंद्रीय सिविल सर्विस नियम 1965 के तहत प्रदत शक्तियों का प्रयोग करते हुए गौरव शर्मा को नौकरी से बर्खास्त कर दिया। गृह विभाग के विशेष सचिव राकेश शर्मा ने इसकी पुष्टि की है।