प्रदेश में 5000 से ज्यादा मल्टी टास्क कर्मियों को नहीं मिल रहा न्यूनत वेतन

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न्यूनतम वेतन न मिलने के चलते कर्मियों में देखा जा रहा खासा रोष, सीएम सुखविंदर सिंह के नालागढ़ दौरे के दौरान कर्मियों का एक प्रतिनिधिमंडल मिला मुख्यमंत्री से, ज्ञापन देखकर वेतन बढ़ाने की उठाई मांग, सीएम सुखविंदर सिंह ने दिया कर्मियों को पॉलिसी बनाने का आश्वासन

शिमला – रजनीश ठाकुर

2 वर्ष पहले भाजपा जयराम सरकार के समय में मल्टीटास्क कर्मचारियों की भर्ती की गई थी और इन मल्टीटास्क कर्मियों को भर्ती के दौरान बहुत कठिन इंटरव्यू भी लिया गया था। जिसके चलते इंटरव्यू देने आए लड़के व लड़कियों से 50-50 किलो सीमेंट की बोरियां उठाकर इंटरव्यू लिया गया था।

लेकिन जब जयराम सरकार ने 5000 मल्टीटास्कर्मियों को काम पर रख लिया था लेकिन अब 2 वर्ष बाद भी कर्मियों का ना तो वेतन बढ़ाया गया है और ना ही उनके लिए कोई पॉलिसी तैयार की गई है। मात्र डेढ़ सौ रुपये दिहाडी पर यह मल्टी टास्क कमी काम कर रहे हैं।

जिसको लेकर मल्टीटास्क कर्मियों द्वारा जयराम सरकार से लेकर मौजूदा सुखविंदर सिंह की सरकार को लगातार ज्ञापन दिए जा रहे हैं लेकिन इसके बावजूद भी मल्टी टास्क कर्मियों की सुनवाई नहीं हो रही है जिसके चलते मलकी टास्क कर्मचारियों में खास रोष देखा जा रहा है।

सीएम सुखविंदर सिंह के नालागढ़ दौरे के दौरान मुख्यमंत्री को मल्टी टास्क कर्मचारियों का एक प्रतिनिधिमंडल मिला और उन्हें ज्ञापन देखकर मानदेय बढ़ाने की जहां मांग उठाई गई। वहीं उनके लिए कोई पॉलिसी बनाने की भी गुहार लगाई गई है। फिलहाल मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह ने सभी मल्टी टास्क कर्मचारियों को जल्द उनका मानदेय बढ़ाने और पॉलिसी बनाने का आश्वासन दिया गया है।

इस बारे में मीडिया से बातचीत करते हुए मल्टी टास्क कर्मचारियों का कहना है कि 2 वर्ष पहले जयराम की सरकार के दौरान 50-50 किलो की सीमेंट की बोरी उठाकर उनका इंटरव्यू लिया गया था और 2 वर्ष बाद भी उन्हें वेतन के नाम पर शोषण किया जा रहा है और एक न्यूनतम वेतन सरकार की ओर से 375 पर दिहाड़ी रखी गई है लेकिन उनको अभी भी 150 रुपए दिहाडी ही दी जा रही है जिसके चलते उन्हें अपने परिवार के पालन पोषण की चिंता सताने लगी है।

मल्टी टास्क कर्मचारियों का कहना है कि सरकार उनके लिए पॉलिसी बनाएं और उनका वेतन भी बढ़ाया जाना चाहिए ताकि वह अपने परिवार का पालन पोषण कर सके। कर्मियों ने चेतावनी देकर कहा है कि अगर जल्द उनकी मांगों को नहीं सुना गया तो वह सारे हिमाचल के 5000 के करीब मल्टी टास्क कर्मचारी का एकत्रित होकर सरकार के खिलाफ धरना प्रदर्शन करने को भी मजबूर होंगे जिसकी जिम्मेदारी प्रदेश सरकार की होगी।

देखना होगा कि कब इन मल्टी टास्क कर्मचारियों के लिए कोई पॉलिसी बनाई जाती है और कब इन कर्मचारियों का वेतन बढ़ाया जाता है और कब इन मल्टी टास्क कर्मचारियों को आ रही भारी परेशानियों से निजात मिलती है।

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