व्यूरो, रिपोर्ट
हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले में स्थित पराशर झील प्रकृति का अनुपम सौंदर्य समेटे हुए है। प्रकृति की सुंदरता के इस दार्शनिक स्थल को देखकर आपका मन रोमांचित हो जाएगा। बरसात के मौसम के बीच यहां की वादियों में हरियाली छा गई है। समंदर तल से 9 हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित पराशर झील के नजारे जन्नत से कम नहीं हैं।
पर्यटकों को यहां ठहरने के लिए रेस्ट हाउस उपलब्ध हैं। खाने की सामग्री, पीने का पानी, दवाई व अन्य सामान अपने साथ ले जाना जरूरी है। प्राकृतिक सौंदर्य के अतिरिक्त झील में तैरता एक भूखंड भी है। झील में तैर रहे भूखंड को स्थानीय भाषा में टाहला कहते हैं। यह सभी के लिए आश्चर्य है क्योंकि यह भूखंड झील में इधर से उधर टहलता है। झील के किनारे आकर्षक पैगोडा शैली में निर्मित मंदिर है जिसे 14वीं शताब्दी में मंडी रियासत के राजा बाणसेन ने बनवाया था।
यहां पराशर ऋषि का दो दिवसीय सरानाहुली मेला भी लगता है। लेकिन बीते डेढ़ वर्ष से कोरोना के कारण प्रदेश में मेले आयोजित करने पर रोक है। मेले में देव सुख, देव ऋषि थट्टा, सुखदेव ऋषि डगाडू और स्नोर घाटी के आराध्य देव गणपति महाराज भी पहुंचते हैं।
मंडी से पराशर झील की दूरी करीब 50 किमी है। मंडी से जोगिंद्रनगर की सड़क पर लगभग डेढ़ किमी दूर एक सडक दायीं ओर चढ़ती है। यह सड़क कटौला व कांढी होकर बागी पहुंचती है।
यहां से पैदल ट्रैक द्वारा झील मात्र आठ किलोमीटर दूर रह जाती है। बागी से आगे गाड़ी से भी जाया जा सकता है। एनएच पर मंडी से आगे सुंदर पनीले स्थल पंडोह से नोरबदार होकर भी पराशर झील पहुंच सकते हैं।
माता हणोगी मंदिर से बाहंदी होकर भी यहां पहुंचने के लिए मार्ग है। कुल्लू से लौटते समय बजौरा नामक स्थान के सैगली से बागी होकर भी पराशर झील पहुंच सकते हैं। मंडी से द्रंग होकर भी कटौला कांढी बागी जाया जा सकता है।पराशर पहुंचने के सभी रास्ते हरे-भरे जंगली पेड़-पौधों फल फूल व जड़ी बूटियों से भरपूर हैं। जैसे-जैसे पराशर के निकट पहुंचते हैं प्रकृति का रंग रूप भी बदलता जाता है। पराशर झील के आसपास फिल्म निर्देशक विधु विनोद चोपड़ा ने करीब फिल्म की शूटिंग की थी।