सिरमौर – नरेश कुमार राधे
वैसे तो किंग कोबरा को रेस्क्यू करना ही एक साहसिक और चुनौतीपूर्ण काम है, लेकिन ज़रा सोचिए, अगर आपसे कहा जाए कि न केवल इस विशाल सांप को पकड़ना है, बल्कि उसकी लंबाई और वजन भी मापना है, तो आप क्या करेंगे? यकीनन, ऐसा करने से ज्यादातर लोग कतराएंगे, भले ही वे पेशेवर स्नेक कैचर क्यों न हों। लेकिन हिमाचल प्रदेश के पांवटा साहिब के ‘स्नेक मैन’ के नाम से मशहूर भूपिंदर सिंह ने इस असंभव से लगने वाले काम को बखूबी अंजाम दिया है।
हिमाचल प्रदेश के पांवटा साहिब में ‘स्नेक मैन’ के नाम से मशहूर भूपिंदर सिंह ने एक बार फिर अपनी बहादुरी का परिचय दिया। सिरमौर जिले के कोटड़ी व्यास में उन्होंने तीसरी बार एक किंग कोबरा को रेस्क्यू किया है। यह घटना तब सामने आई जब स्थानीय निवासियों ने सूचना दी कि वही किंग कोबरा, जिसे कुछ दिन पहले जंगल में छोड़ा गया था, फिर से वापस लौट आया है।
सूचना मिलते ही भूपिंदर सिंह ने मौके पर पहुंचकर न केवल इस विशाल सांप को पकड़ने का साहस दिखाया, बल्कि उसकी लंबाई और वजन भी मापा। कुछ दिन पहले, वन विभाग की टीम ने इस किंग कोबरा को जंगल में छोड़ा था, लेकिन उसे पास के क्षेत्र में छोड़ने के कारण वह बार-बार उसी स्थान पर वापस आ रहा था। इससे स्थानीय लोगों में डर का माहौल था। भूपिंदर सिंह ने बताया कि इस बार इसे और अधिक दूरी पर छोड़ा गया है, ताकि यह वापस न लौटे।
वन विभाग और भूपिंदर सिंह ने मिलकर स्थानीय निवासियों के साथ जागरूकता शिविर आयोजित किया, जिसमें सांप से जुड़े महत्वपूर्ण दिशा-निर्देश दिए गए। इसके साथ ही किसी भी आपात स्थिति में रेस्क्यू के लिए संपर्क नंबर भी साझा किए गए।
किंग कोबरा भारत का राष्ट्रीय सरीसृप है और यह वन्यजीव संरक्षण अधिनियम के तहत अनुसूची-I प्रजाति में शामिल है। इसका पाया जाना स्वस्थ वनों का संकेत माना जाता है। किंग कोबरा दुनिया का सबसे लंबा विषैला सांप है, जिसकी लंबाई 18 फीट (लगभग 5.5 मीटर) तक हो सकती है।
यह मुख्य रूप से भारत, दक्षिण पूर्व एशिया और इंडोनेशिया के घने जंगलों में पाया जाता है। किंग कोबरा की सबसे खास बात यह है कि यह अन्य सांपों को भी खा जाता है, इसलिए इसका वैज्ञानिक नाम Ophiophagus (जिसका अर्थ है “सांप खाने वाला”) रखा गया है।
यह सांप बहुत ही तेज, फुर्तीला और समझदार माना जाता है हालांकि यह केवल तभी हमला करता है जब इसे खतरा महसूस होता है। इसके फन को फैलाने का तरीका इसे और भी डरावना बनाता है। भूपिंदर सिंह के इस साहसिक कदम ने न केवल सांप के प्रति स्थानीय लोगों के डर को कम किया है, बल्कि वन्यजीवों के संरक्षण के महत्व को भी रेखांकित किया है।