यूरोप में सूती वस्त्रों की मांग घटी, बीबीएन में तीन औद्योगिक इकाइयां बंद, 13 हजार कामगार बेरोजगार

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हिमाचल प्रदेश के बीबीएन में इसके चलते तीन वस्त्र औद्योगिक इकाइयां बंद हो गई हैंं। इससे 13,000 कामगार बेरोजगार हो गए हैं।

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हिमखबर डेस्क

सूती धागा और सूती वस्त्रों की यूरोप में मांग कम होने से देश की सूती धागा मिलों पर मंदी की मार पड़ गई है। हिमाचल प्रदेश के बीबीएन में इसके चलते तीन वस्त्र औद्योगिक इकाइयां बंद हो गई हैंं। इससे 13,000 कामगार बेरोजगार हो गए हैं।

यूक्रेन युद्ध के बाद सूती धागा उद्योगों में मंदी छाई हुई है।1 जुलाई 2023 से दक्षिण भारत के सभी सूती धागा उद्योग बंद हो गए हैं। अब उत्तर भारत में धीरे-धीरे ये उद्योग बंद होने के कगार पर हैं।

बीबीएन में विनसम टैक्सटाइल, वर्धमान टैक्सटाइल, बिरला टैक्सटाइल, दीपक स्पिनिंग मिल, सिद्धार्था टैक्सटाइल, जीपीआई टैक्सटाइल, बरोटीवाला स्थित हिमाचल फाइबर और अरिहंत धागा मिल थी, लेकिन अब जीपीआई, हिमाचल फाइबर व अरिहंत मिल बंद हो गई है।

जीपीआई टैक्सटाइल उद्योग हाल ही में बंद हो गया है। इन तीनों उद्योगों के बंद होने से 13,000 से अधिक कामगार बेरोजगार हो गए हैं। वहीं जो पांच उद्योग वर्तमान में चल रहे हैं, उनमें नई भर्ती नहीं हो रही है। जो लोग काम छोड़कर जा रहे हैं, उनके स्थान पर नए लोगों को नहीं रखा जा रहा। अभी तक 2,500 के करीब लोग काम छोड़ चुके हैं।

यूरोप में मांग कम होने से धागा उद्योगों में सूती धागा स्टोर किया जा रहा है। इससे इन कंपनियों के गोदाम भर गए हैं। अगर छह माह तक माल नहीं बिकता तो इसे रिफ्रेश करना पड़ेगा, जिसके लिए 10 फीसदी कॉटन का नुकसान हो जाता है। री प्रोसेसिंग कार्य में भी अतिरिक्त पैसा खर्च होता है, जिससे उत्पादन लागत बढ़ जाती है।

यूक्रेन युद्ध के चलते घटी मांग

वर्धमान टैक्सटाइल ग्रुप के अध्यक्ष आईजीएमएस सिद्धू ने कहा कि भारत से सबसे ज्यादा सूती वस्त्र यूरोप में जाता है, लेकिन यूक्रेन युद्ध के चलते वहां पर कीमतें बहुत बढ़ गई हैं। लोग कपड़ा खरीदने के बजाय अन्य कार्यों में पैसा लगा रहे हैं। इससे भारत से सूती वस्त्र निर्यात कम हो गया है। यह मंदी पिछले डेढ़ साल से चल रही है।

बिना लाभ के चलाने पड़ रहे उद्योग

वर्तमान में बिना लाभ के ये उद्योग चल रहे हैं। नई भर्ती अभी नहीं हो रही है। जो लोग काम पर हैं, उन्हें भी काम मिल जाए तो बड़ी बात है। उन्होंने प्रदेश सरकार से मांग की है कि इन उद्योगों को बिजली की दरों व टैक्स में राहत देने पर ही ये चल पाएंगे।

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