भारत में धर्म परिवर्तन करने की आजादी, दिखाने होंगे सबूत

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इलाहाबाद हाई कोर्ट ने दिया आदेश, दिखाने होंगे ठोस सबूत

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हिमखबर डेस्क

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने अपने एक आदेश में कहा है कि भारत में लोगों को अपना धर्म बदलने की स्वतंत्रता है। साथ ही कोर्ट ने यह भी कहा है कि धर्मांतरण के लिए इस बात के प्रयाप्त सबूत दिखाने होंगे, जिससे कि यह साफ पता चल सके कि यह स्वैच्छिक है।

जस्टिस प्रशांत कुमार ने अपने एक आदेश में कहा है कि सिर्फ इतना कहना धर्मांतरण के लिए प्रयाप्त नहीं है कि कोई व्यक्ति सिर्फ मौखिक या लिखित रूप से इसकी घोषणा कर दे कि वह स्वेच्छा से धर्मांतरण कर रहा है। इसके लिए विश्वसनीय सबूत होना चाहिए।

कोर्ट के आठ अप्रैल के अपने आदेश में कहा कि भारत में किसी को भी धर्म परिवर्तन करने की आजादी है। मौखिक या लिखित रूप से कह देने भर से इसे वैध नहीं माना जाएगा। धर्मांतरण की इच्छा का विश्वसनीय प्रमाण आवश्यक है। कोर्ट ने कहा कि धर्म परिवर्तन के बारे में संबंधित अधिकारियों को विधिवत सूचित किया जाना चाहिए, ताकि परिवर्तन सभी सरकारी रिकॉर्ड और सरकार द्वारा जारी पहचान पत्रों में दिखाई दे।

कोर्ट ने यह भी कहा है कि अगर कोई व्यक्ति धर्मांतरण कराता है तो इसकी जानकारी समाचार पत्रों के माध्यम से सार्वजनिक की जानी चाहिए। कोर्ट ने कहा कि धर्मांतरण कानूनी होना चाहिए, ताकि नया धर्म देश भर में सभी सरकारी आईडी पर दिखाई दे।

इसके बाद इसके व्यापक प्रचार के लिए समाचार पत्र में विज्ञापन दिया जाना चाहिए, जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि सार्वजनिक रूप से भी धर्मांतरण कराने से आपत्ति नहीं है। साथ इससे यह भी पता चलेगा कि धोखाधड़ी या अवैध तरीके से किसी का धर्मांतरण नहीं हुआ है।

हाई कोर्ट ने कहा है कि अखबार के विज्ञापन में नाम, उम्र और पता की पूरी जानकारी होनी चाहिए। इलहाबाद हाई कोर्ट ने कहा कि आधिकारिक राजपत्र के जरिए किसी व्यक्ति या उसके परिवार के धर्मांतरण की सूचना तभी देनी चाहिए जब संबंधित सरकारी विभाग इसकी पूरी तरह से जांच कर लेता है। कोर्ट ने कहा कि उचित जांच होने के बाद ही धर्म परिवर्तन को राजपत्र में अधिसूचित किया जाएगा।

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