मैदानी राज्यों में पहली पसंद बने कांगड़ा (भाली) में तैयार हो रहे सेब के पौधे

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एक दर्जन से अधिक राज्य में हो रही सेब के पौधों की सप्लाई, पहाड़ की तरह मैदानी इलाकों के लोगों को भी आत्मनिर्भर बनाएगा सेब।

कोटला – स्वयम

उपमंडल ज्वाली के अंतर्गत ग्राम पंचायत भाली के किसान राजेंद्र कुमार स्वरोजगार अपनाकर युवाओं के लिए प्रेरणा स्त्रोत बन गए हैं। राजेंद्र कुमार ने भाली में पठानकोट-मंडी राष्ट्रीय राजमार्ग किनारे भाली गांव में सेब की नर्सरी लगा रखी है और इन दिनों सीजन के दौरान देश के करीब एक दर्जन राज्यों में सेब के पौधों की ऑनलाइन डिमांड पर भाली से सप्लाई जा रही है।

भाली में गोल्ड वैरायटी के सेब के पौधे तैयार किए जा रहे है। इन पौधों की पैकिंग कर देश के अलग-अलग राज्यों में भेजी जा रही है। किसान राजेंद्र कुमार ने बताया कि देशभर के मैदानी इलाकों में हिमाचल के कांगड़ा (भाली) में तैयार होने वाले सेब के पौधे पहली पसंद बन गए हैं।

उन्होंने बताया कि इन दिनों उनके सेब के पौधों की सप्लाई महाराष्ट्र, कर्नाटक, गुजरात, मध्य प्रदेश, उतर प्रदेश, बिहार, तेलांगना, छत्तीसगढ़, आंध्र प्रदेश, नॉर्थ ईस्ट, असम, मणिपुर और इम्फाल सहित पूरे भारत में हो रही है। और देश के विभिन्न राज्यों से उनके पास पौधों की ऑनलाइन डिमांड आ रही है और वह लगातार किसानों बागवानों की मांग पर यहां से पौधे भेज रहे हैं।

उन्होंने बताया कि अच्छा रेट होने के चलते गर्म इलाके की सेब की वैरायटी की लगातार मांग बढ़ रही है। उनका दावा है कि आने वाले समय में पहाड़ की तरह ही मैदानी क्षेत्रों में भी सेब के बगीचे लोगों को आत्मनिर्भर बना देंगे और लोगों को रोजगार स्वरोजगार से जोड़ने का यह एक बड़ा माध्यम बनेगा।

उन्होंने युवाओं को संदेश दिया है कि सरकारी नॉकरी के पीछे भागना छोड़कर स्वरोजगार का माध्यम अपनाएं।

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