नूरपुर- देवांश राजपूत
भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय के सहयोग एवं भाषा तथा संस्कृति के सहयोग से सांस्कृतिक संस्था “सभ्याचारक रंग मंच” द्वारा “विश्व साक्षरता दिवस” पर गाँव पैहग में जनसमुदाय को लोक संस्कृति से रूबरू करवाया गया एवं महामारी कोरोना से बचाव के बारे में जागरूक किया गया।
इसका शुभारंभ करते हुए लोक कलाकार जतिंदर कुमार ने कहा कि साक्षरता का सामाजिक व आर्थिक विकास से गहरा संबंध है। दुनिया से निरक्षरता को मिटाने के लिए संयुक्त राष्ट्र के शैक्षिक, वैज्ञानिक एवं सांस्कृतिक संगठन यूनेस्को ने 17 नवंबर 1965 में हर वर्ष आठ सितंबर को अंतरराष्ट्रीय साक्षरता दिवस मनाने की घोषणा की थी। इसे पहली बार 1966 में मनाया गया।
इस अवसर पर “ सुहाग -विवाह गीत एवं लोक नृत्य ” प्रस्तुत किए गए । शादी में गाए जाने वाले गीत “सुहाग” कहे जाते हैं। शादी में मेहंदी की रस्म पर गाए जाने वाले “इसामेंहदिया दे छोटे-छोटे पात” प्रस्तुति ने समय को बाँध दिया। दुल्हन को तेल डालते समय का परंपरागत सुहाग “कुन्नि पाया तेल मिए, मामीऐ पाया तेल मिए “ पर सुंदर कोरियोग्राफी पेश कि गई।
कन्या कि शादी कि ख़ुशी व बिछ्ड़ने के गम से परिवारजनों के आन्सुयों पर आधारित सुहाग” न एम्बर बरसे- न एम्बर बरसे, आंगने चिक्कड कियां होया” पर माहौल भावमय हो गया। “पंशी रुदन करें” से लड़की के सगे संबंधियों कि विवशता झलकी तो “नानू गोरे आया ओ झमाकडेया”,से रीती रिवाजों कि जानकारी प्राप्त हुई।
संस्था के अध्यक्ष विक्रांत ने इस अवसर पर कहा कि लोकमंगल एवं लोककल्याण भारतीय संस्कृति का मूल स्वर है । लोकगीतों, लोककथा, लोकगाथा, लोकनाट्यों, लोक संस्कृति में भारतीय जनजीवन धड़कता है ।
इसी दौरान महामारी कोरोना एवं कन्या भ्रूण हत्या रोकने का संदेश दिया गया एवं लोक कलाकारों जितेन्द्र कुमार,अजय सिंह, मीना कुमारी, निरा देवी, रीना ,सीमा, रैना, यशा, जोगिन्द्र सिंह, अमित कुमार, एवं अमृत धीमान को उनकी सराहनीय सेवाओं के लिए सम्मानित भी किया गया।