अपनी पुश्तैनी जमीन पर ‘सोना’ उगा रहे हैं तरसेम चंद

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प्रतिदिन 8-9 हजार रुपये तक की सब्जी पहुंचा रहे हैं स्थानीय बाजारों में, बेरोजगार युवाओं के लिए भी एक प्रेरणास्रोत बन चुके हैं सेवानिवृत्त शिक्षक।

 

हमीरपुर 11 अगस्त – हिमखबर डेस्क 

नौकरियों के लिए घर से दूर जहां-तहां भटकने के बजाय अपनी पुश्तैनी जमीन पर ही नकदी फसलों की खेती करके भी रोजाना हजारों रुपये की आय प्राप्त की जा सकती है।

प्रदेश सरकार ऐसे प्रगतिशील किसानों को हमेशा प्रोत्साहित करती है और कृषि विभाग तथा उद्यान विभाग की विभिन्न योजनाओं के माध्यम से लाभान्वित करती है।

प्रदेश सरकार की इन योजनाओं की मदद से जिला हमीरपुर के भी कई मेहनतकश किसान अपनी पुश्तैनी जमीन से अच्छी आय अर्जित कर रहे हैं तथा आज के युवाओं के लिए प्रेरणास्रोत बने हुए हैं।

इन्हीं मेहनतकश एवं प्रगतिशील किसानों में से एक हैं भोरंज उपमंडल की ग्राम पंचायत मुंडखर के गांव जमली के तरसेम चंद।

लगभग 25 वर्षों तक शिक्षा विभाग में शारीरिक शिक्षक के रूप में सेवाएं देने के बाद तरसेम चंद रिटायर हुए तो अपनी लगभग 12 कनाल जमीन पर गेहूं, मक्की और धान जैसी परंपरागत फसलों की खेती के बजाय नकदी फसलें उगाने का निर्णय लिया, ताकि उन्हें अपनी उपज के अच्छे दाम मिल सके।

इसके लिए उन्होंने सबसे पहले पानी का प्रबंध करने का निर्णय लिया और पारंपरिक कुएं की मरम्मत करवाकर उसमें मोटर फिट करवाई।

पानी का प्रबंध होने के बाद उन्होंने भिंडी, करेला, खीरा, शिमला मिर्च, घीया, लौकी और कद्दू इत्यादि की फसलें उगाने के लिए आधुनिक तकनीक अपनाते हुए खेतों में मल्चिंग शीट बिछाई।

इस तकनीक को अपनाने के लिए कृषि विभाग के अधिकारियों ने भी तरसेम चंद का मार्गदर्शन किया। देखते ही देखते तरसेम चंद की जमीन सोना उगलने लगी।

अब वह रोजाना 8-9 हजार रुपये की सब्जी स्थानीय बाजारों में पहुंचा रहे हैं। उन्हें घर के पास ही अपनी उपज के अच्छे दाम मिल रहे हैं।

तरसेम चंद ने बताया कि उन्हें कृषि और उद्यान विभाग के अधिकारियों की ओर से भी समय-समय मार्गदर्शन एवं सहयोग मिलता रहा है तथा वह इन विभागों की विभिन्न योजनाओं का भी लाभ उठा रहे हैं।

तरसेम चंद ने बताया कि उन्होंने हाल ही 50 प्रतिशत सब्सिडी पर पॉवर टिल्लर भी खरीदा है, जिससे उन्हें खेती करना और भी आसान हो गया है।

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