दुराना- राजेश कुमार
चुनावी वर्ष में संगठन नेतृत्व को लेकर राजनीति में किए जाने वाले फेरबदल पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए पूर्व पंचायत समिति सदस्य एवं वर्तमान उपप्रधान साधू राम राणा ने कहा कि आम तौर पर देखा गया है कि चुनावी वर्ष में राजनीति पार्टीयां चुनाव में अच्छा प्रदर्शन करने के उद्देश्य से संगठन में फेरबदल करने के लिए समीक्षा करते हैं।
वर्तमान संगठन के नेतृत्व की कमीयों पर से मतदाताओं का ध्यान हटाने के उद्देश्य से खासकर संगठन के शीर्ष नेतृत्व में परिवर्तन करते हैं जोकि फायदा कम और नुकसान ज्यादा पहुंचाने का काम करने वाला क़दम राजनीति दलों के लिए रहता है।
क्योंकि पिछले चार बर्ष से जो लोग पार्टी संगठन में नेतृत्व को संभाल कर एक टीम बनकर काम कर रहे होते हैं और जब चुनावी वर्ष में संगठन के पदाधिकारियों को बदल या हटा दिया जाए तो संगठन से बदले एवं हटाए गए पदाधिकारी या तो मौन रुप धारण कर लेते हैं या फिर बगावत पर उतारू हो जाते हैं।
जिससे पार्टी को फ़ायदे की बजाए अधिकतर तौर पर नुकसान झेलना पड़ता है। जिसका ताजा उदाहरण हाल ही में पंजाब के चुनावों में कांग्रेस पार्टी को कैप्टन अमरिंदर सिंह को हटाकर देखने को मिला है।
अतः संगठन नेतृत्व का परिवर्तन चुनावी वर्ष में करने की भूल करना हर राजनीति दल को फ़ायदे का नहीं बल्कि हमेशा घाटे का सौदा ही राजनीति दृष्टि से साबित होता रहेगा । जिसने किया नहीं वह करके देख लें।