कमरे में सामने बैठे दोस्तों पर काल बनकर झपटी थी बाढ़, करसोग के कुट्टी में तबाही में जिंदा बचे विक्की ने सुनाई खौफनाक रात की दास्तां, पत्थरों से दरवाजा बंद होने के कारण बच गई थी जान, मलबे की चपेट में आने से पास बैठे दोनों दोस्त गायब।
मंडी – अजय सूर्या
जलजले की चपेट में जो आया, वह मौत के आगोश में समाता ही चला गया। बाढ़ ने क्लासन गांव का विक्की सूर्यवंशी ही एक मात्र ऐसा शख्स है, जो 30 जून की काली रात का भयावह सच बताने के लिए जिंदा है।
करसोग के कुट्टी गांव पर रात को 10:36 मिनट पर मौत ने झपटा मारा था। उस दौरान विक्की उसी कमरे में मौजूद था, जहां उसके साथ बैठे अश्वनी और ललित आंखों के सामने से गायब हो गए थे।
विक्की भी मलबे में फंसा था, लेकिन कमरे का मेन दरवाजा पत्थरों के कारण बंद हो जाने से वह बहाव की चपेट में आने से बच गया। विक्की बताते हैं कि 30 जून की रात बारिश हो रही थी । रात 10:35 मिनट कर समय रहा होगा।
एकाएक कमरे की खिडक़ी टूटी है और फिर पानी, मलबा तथा पत्थर कमरे में घुस आए। इस मलबे की चपेट में सामने बैठे अश्वनी और ललित आ जाए और पल भर में ही मलबे के साथ गायब हो गए।
फिर एकदम से पत्थरों के कारण कमरे का दरवाजा बंद हो गया। कमरे में पानी तीन से चार फुट तक भर गया। बड़ी मुश्किल से किचन की ओर गया, तो वहां से भी पानी अंदर आ रहा था। इस दौरान वह दो बार डूबा भी।
इसके बाद किचन की बॉलकनी से बाहर निकले विक्की ने दोस्तों को आवाज लगाई। जब कोई उत्तर नहीं मिला, तो साथ के घर में रह रहे दो युवकों को बुलाया। इसके बाद बाढ़ में गायब हुए दो युवकों को ढूंढा, लेकिन कुछ पता नहीं चल पाया।
पुलिस को फोन किया, लेकिन कोई मदद और राहत नहीं मिल पाई और पता चला कि बाढ़ से रास्ता ही बंद हो गया है। जब सुबह हुई, तो दोस्तों का कोई पता नहीं चला।
करसोग में शिमला मिर्च की खेती करते थे तीनों
क्लासन गंाव से संबंध रखने वाले विक्की और अश्वनी सहित ललित ने एक अन्य युवक के साथ मिलकर करसेाग में शिमला मिर्च का प्रोजेक्ट लगाया है। इस दौरान 12,000 पौधे रोपे गए और इसी प्रोजेक्ट की देख-रेख को तीन दोस्तों ने किराए का कमरा ले लिया।
30 जून की रात मौत ने उस घर को ही तबाह कर दिया, जिसमें तीनों रुके हुए थे। अश्वनी आज भी लापता है और ललित का शव तत्तापानी के पास से बरामद हुआ है।