अगर भगवान राम के अयोध्या लौटने पर मनाई जाती है दिवाली, तो क्यों होती है इस दिन लक्ष्मी पूजा?

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हिमखबर डेस्क

देशभर में दिवाली का त्योहार 31 अक्टूबर को मनाया जाएगा। इस दिन लोग घरों में भगवान गणेश और माता लक्ष्मी की पूजा-अर्चना करते हैं। इसके अलावा भगवान श्री राम लंका पर विजय पाकर इस दिन अयोध्या लौटे थे। भगवान राम के अयोध्या लौटने पर लोगों ने दीप जलाकर उनका स्वागत किया था।

ऐसे में लोग रात को दीप जलाकर दिवाली का त्योहार मनाते हैं। ऐसे में जानना जरूरी है कि दिवाली पर माता लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा का विधान क्यों है और हिंदू शास्त्र इसको लेकर क्या कहते हैं।

लक्ष्मी माता की पूजा और कार्तिक मास की अमावस्या

आचार्य अमित कुमार शर्मा ने बताया हिंदू शास्त्रों के मुताबिक कार्तिक मास की अमावस्या को लक्ष्मी पूजा का विधान है। इसको लेकर उन्होंने जानकारी देते हुए बताया।

  • कार्तिक मास की अमावस्या को माता लक्ष्मी समुद्र मंथन से हुई थीं प्रकट
  • देवी-देवताओं ने उनका हाथ जोड़कर किया था स्वागत
  • सतयुग से चला आ रहा है मां लक्ष्मी की पूजा का विधान
दिवाली पर भगवान गणेश की पूजा का प्रावधान

आचार्य अमित कुमार शर्मा ने दिवाली पर मां लक्ष्मी के साथ भगवान गणेश की पूजा के महत्व को भी बताया है। वैसे तो भगवान गणेश की पूजा हिंदू धर्म में हर शुभ काम से पहले की जाती है लेकिन इसको लेकर हिंदू शास्त्रों में एक अन्य जानकारी भी है जो इस तरह से है।

  • समुद्र मंथन के दौरान जल से निकली थी माता लक्ष्मी
  • जल का स्वभाव है चलना
  • ऐसे में माता लक्ष्मी का कहीं भी नहीं रहता स्थाई वास
  • भगवान गणेश हैं बुद्धि के स्वामी
  • बुद्धिमान व्यक्ति के पास हमेशा स्थिर रहती है लक्ष्मी
  • लक्ष्मी को स्थिर रखने के लिए की जाती है भगवान गणेश की पूजा

दिवाली और कार्तिक मास की अमावस्या

आचार्य अमित कुमार शर्मा ने बताया भगवान श्रीराम भी लंका पर विजय पाकर कार्तिक मास की अमावस्या को ही अयोध्या लौटे थे। अयोध्या के लोगों ने इस शुभ अवसर पर दीप जलाकर उनका स्वागत किया था। भगवान श्रीराम ने लंका पर विजय त्रेता युग में पाई थी इसलिए दिवाली का पर्व, माता लक्ष्मी और गणेश की पूजा एक ही दिन की जाती है।

क्या कहते हैं हिंदू शास्त्र?

आचार्य अमित कुमार शर्मा ने बताया “हिंदू शास्त्रों के मुताबिक समुद्र मंथन सतयुग की घटना है जबकि भगवान श्री राम का लंका पर विजय पाकर अयोध्या लौटना त्रेता युग की घटना है। संयोगवश ये दोनों घटनाएं कार्तिक मास की अमावस्या को ही घटी थीं, इसलिए कार्तिक मास की अमावस्या पर दिवाली, माता लक्ष्मी और गणेश का पूजन करने का विधान है।”

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