मेडिकल कॉलेज में एक बिस्तर पर चार बच्चों का हो रहा इलाज

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चम्बा – भूषण गूरूंग 

मेडिकल कॉलेज चंबा के शिशु रोग वार्ड में एक बिस्तर पर कहीं चार तो कहीं तीन बच्चे लेटाए गए हैं। इससे अभिभावक और बीमार बच्चे काफी परेशान हैं।

सोमवार सुबह 11:00 शिशु रोग वार्ड के एक बिस्तर पर चार बीमार बच्चे लेटे हुए हैं। उनके अभिभावक बिस्तर के चारों तरफ स्टूल पर बैठे हैं। चार बच्चों को एक बिस्तर पर लेटना मुश्किल हो रहा है। इसके चलते बच्चे बिस्तर पर चौकड़ी माकर बैठे हैं।

वहीं, वार्ड में कुछ बिस्तर ऐसे भी हैं जहां तीन-तीन बच्चे लेटाए गए हैं जबकि अन्य बिस्तरों में दो-दो बच्चे लेटाए गए हैं। वार्ड में एक बिस्तर भी ऐसा नहीं है। जहां पर एक मरीज अकेला भर्ती हो।

ये सभी बच्चे उल्टी, दस्त और बुखार से पीड़ित हैं। जिन्हें उपचार के लिए मेडिकल कॉलेज में लाया गया है। दिन के समय बच्चे बिस्तर पर जैसे-तैसे करके समय बिता रहे हैं, लेकिन रात को अभिभावकों को फर्श पर बिस्तर लगाना पड़ रहा है। जहां पर अभिभावक बीमार बच्चों के साथ सोने को मजबूर हैं।

दोपहर 12:00 बजे तक नहीं आया कोई विशेषज्ञ 

कोई भी विशेषज्ञ बीमार बच्चों की जांच करने के लिए नहीं पहुंचा है। एमबीबीएस प्रशिक्षु वार्ड में राउंड कर रहे हैं। गांधी जयंती की छुट्टी होने के चलते अस्पताल में राउंड व्यवस्था भी प्रशिक्षुओं के कंधों पर छोड़ दी गई है। वार्ड में 25 बिस्तरों में 45 बच्चे उपचाराधीन है।

अनीता, तीमारदार के बोल 

दो दिन पहले बच्चे को पेट दर्द हुआ था। इसके चलते दो दिन से उनका बच्चा अस्पताल में उपचाराधीन है। बिस्तर की कमी होने के कारण उन्हें काफी परेशानी हो रही है। सरकार को बिस्तरों की संख्या बढ़ाने के लिए उचित कदम उठाने चाहिए।

सपना, तीमारदार के बोल 

रात को तीन बच्चों के साथ बिस्तर पर तीमारदार को लेटना मुश्किल हो जाता है। ऐसे में रात को उन्हें फर्श पर चटाई बिछाकर सोना पड़ता है। अपने बीमार बच्चे को भी उसी चटाई पर लेटाना पड़ता है। इससे भी उनका बीमार बच्चा और बीमार हो सकता है।

आशा कुमारी, स्थानीय निवासी के बोल 

चार दिन से उनका बच्चा बुखार के कारण मेडिकल कॉलेज में भर्ती है। विशेषज्ञ इलाज में कोई कोताही नहीं बरत रहे हैं, लेकिन बच्चों को बिस्तर पर लेटाना मुश्किल हो रहा है। एक बिस्तर पर दो से तीन बच्चे होने से काफी परेशानी हो रही है।

आशा, तीमारदार के बोल 

मेडिकल कॉलेज में बीमार बच्चों के इलाज के लिए बिस्तरों की संख्या अधिक होनी चाहिए ताकि बीमार बच्चों को इलाज के दौरान कोई परेशानी न हो। मौजूदा समय में अस्पताल में एक बिस्तर पर तीन से चार बच्चे भर्ती हैं जबकि अभिभावक दिन भर स्टूल पर या फर्श पर खडे रहते हैं।

कार्यवाहक चिकित्सा अधीक्षक के बोल

कार्यवाहक चिकित्सा अधीक्षक डॉक्टर देवेंद्र कुमार ने बताया कि पिछले कुछ दिन में उल्टी, दस्त और बुखार से ग्रसित बच्चों की संख्या बढ़ी है। वार्ड में बिस्तरों की संख्या कम होने से थोड़ी परेशानी आई है। हालांकि बीमार बच्चों के इलाज में किसी प्रकार से कोई कसर नहीं छोड़ी जा रही है।

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