एक बिस्तर पर दो-दो मरीज़, सरकार की गाइडलाइन की उड़ाई जा रहीं धज्जियां, उद्घाटन के बावजूद शुरू नहीं हो पाया जीएस मदर एंड चाइल्ड अस्पताल
काँगड़ा – राजीव जस्वाल
डाक्टर राजेंद्र प्रसाद राजकीय आयुर्विज्ञान चिकित्सा महाविद्यालय टांडा अस्पताल में डिलीवरी के बाद गर्भवती महिलाओं को बिस्तर नहीं मिल पा रहे हैं। कंपकंपाती ठंड में डिलीवरी के बाद गर्भवती महिलाओं को वार्ड की गैलरियों में स्ट्रेचर पर ही रहने को मजबूर होना पड़ रहा है। वार्ड के अंदर भी दो दो महिलाओं को एक बिस्तर साझा करना पड़ रहा है।
प्रदेश के दूसरे बड़े अस्पताल की जो स्तिथि 2007 में थी आज भी वैसी ही बनी हुई है। जब अस्पताल शुरू हुआ था, उस समय गर्भवती महिलाओं के लिए 50 बिस्तरों की सुविधा मुहैया की गई थी और 17 साल बाद आज भी 50 बिस्तर की ही सुविधा उपलब्ध है। आबादी तीन गुना बढ़ चुकी है। 44 करोड़ रुपए की लागत से बने जीएस बाली मदर एंड चाइल्ड अस्पताल का लगभग पौने एक साल पहले उद्घाटन होने के बाबजूद अभी तक शुरू नहीं किया जा सका है।
जीएस बाली मदर एंड चाइल्ड अस्पताल का कोइ लाभ गर्भवती महिलाओं को नहीं मिल पा रहा है। जिसकी वजह से डिलीवरी के बाद गर्भवती महिलाओं को बिस्तर नहीं मिल पा रहे हैं। कंपकंपाती ठंड में डिलीवरी के बाद गर्भवती महिलाओं को वार्ड की गेलरियों में स्ट्रेचर पर ही रहने को मजबूर होना पड़ रहा है। वार्ड के अंदर भी दो दो महिलाओं को एक बिस्तर सांझा करना पड़ रहा है।
प्रदेश सरकार ने जारी एक सूचना में कहा था कि सरकारी अस्पतालों में एक बिस्तर पर दो दो मरीज़ नहीं होंगें और एक बिस्तर पर केवल एक मरीज़ दाखिल रहेगा। लेकिन धरातल पर तस्वीर कुछ और ही बयां कर रही हैं। यह कहने में अतिशयोक्ति नहीं होगी की सरकार की नोटिफिकेशन कि धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। विदित है की प्रदेश के दूसरे बड़े अस्पताल में छह जिलों के लोग टांडा इलाज करवाने आते हैं।
44 करोड़ से बने मदर एंड चाइल्ड अस्पताल का लाभ नहीं
उल्लेखनीय है कि 44 करोड़ रुपए की लागत से बने जीएस बाली मदर एंड चाइल्ड अस्पताल का लगभग पौने एक साल पहले उद्घाटन हुआ था। अभी तक शुरू नहीं किया जा सका है।