सफलता की कहानीः दुग्ध उत्पादन में सकीना डेयरी फार्म बना आदर्श, तुंगल क्षेत्र की युवा उद्यमी के ज़ज्बे ने लिखी सफलता की नई इबारत

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प्रतिमाह हो रही दो लाख रुपए की आमदनी, दूध के दाम बढ़ाने पर मुख्यमंत्री को कहा थैंक्यू

हिमखबर डेस्क

परिस्थितियां चाहे कितनी भी विपरीत हो, कठिन परिश्रम व सच्ची लगन, व्यक्ति को उसके लक्ष्य तक पहुंचा ही देती है। यह साबित किया है तुंगल क्षेत्र की युवा उद्यमी सकीना ठाकुर ने। इतिहास की छात्रा रही सकीना अपने ज़ज्बे एवं नवोन्मेषी प्रयासों से आज दुग्ध उत्पादन के क्षेत्र में एक नया इतिहास रच रही हैं।

कोटली उपमंडल के कून गांव में एक साधारण परिवार में जन्मीं सकीना ठाकुर की बचपन से ही उद्यमी सोच रही है। कोट के सरकारी स्कूल से शुरुआती शिक्षा प्राप्त करने के उपरांत मंडी शहर में उच्च शिक्षा के लिए चली आईं। यहां राजकीय वल्लभ डिग्री कॉलेज से उन्होंने इतिहास विषय में एम.ए. की उपाधि प्राप्त की।

वह बताती हैं कि मंडी में घर पर जो दूध आता, वह काफी पतला व निम्न गुणवत्ता का था। वहीं से उन्हें विचार आया कि वे किस तरह लोगों को उच्च गुणवत्ता का दूध उपलब्ध करवा सकती हैं। हालांकि जिम, मॉडलिंग व बॉक्सिंग में करियर बनाने के सपने भी मन में हुलारे मार रहे थे। मगर, परिवार सरकारी नौकरी के लिए दबाव डाल रहा था। इन तमाम विरोधाभासों के बीच सकीना ने कुछ समय स्वास्थ्य विभाग की परियोजना में सर्वेक्षणकर्ता के रूप में भी कार्य किया।

वह बताती हैं कि इस नौकरी से संचित धन उन्होंने दुग्ध उत्पादन के क्षेत्र में निवेश करने का मन बना लिया। शुरुआत बेहद चुनौतीपूर्ण रही, क्योंकि घर-परिवार से लेकर गांव-चौबारे तक हर जगह सहयोग की अपेक्षा ताने ही अधिक मिल रहे थे। एक शिक्षित लड़की कैसे गाय-गोबर का काम करेगी, इस तरह के उलाहने उन्हें परेशान तो करते, मगर लक्ष्य पर केंद्रित रहकर ऐसी सोच को गलत साबित करने का जरिया भी बन रहे थे।

दुग्ध उत्पादन में आगे बढ़ने का हौसला उन्हें पड़ोसी गांव भरगांव की चिंता देवी ने दिया। यू-ट्यूब से भी डेयरी क्षेत्र की जानकारी प्राप्त की। इसके बाद पंजाब में बठिंडा के समीप गुरविंदर डेयरी फार्म से होलस्टीन फ्रिजियन (एचएफ) नस्ल की गाय खरीदी। यूरोपियन नस्ल की इन गाय के दूध में प्रोटीन व मक्खन भरपूर मात्रा में होता है। अलग-अलग जलवायु में अनुकूलनशीलता और उत्पादकता में भी यह नस्ल बेहतर होती है।

डेयरी व्यवसाय में पूंजी जुटाने के लिए भी सकीना ने कई माध्यम अपनाए। हाथ में मात्र सवा लाख रुपए के करीब ही बचत थी, मगर हौसला पहाड़ों से भी ऊंचा। ऐसे में ग्रामीण बैंक से लगभग दो लाख रुपए का ऋण लिया और जुलाई, 2024 में सकीना डेयरी फार्म की शुरुआत कर दी। अब मां रमा देवी व भाई-बहन का साथ भी मिला।

प्रदेश सरकार द्वारा दुग्ध उत्पादन को निरंतर प्रोत्साहन से भी सकीना जैसे युवा उद्यमियों को काफी संबल मिला है। सकीना बताती हैं कि नवंबर, 2024 में उनके गांव में द कून महिला दुग्ध उत्पादक सहकारी समिति का कार्यालय खुला और यहां हिमाचल प्रदेश राज्य दुग्ध उत्पादक प्रसंघ की ओर से तमाम सुविधाएं एवं उपकरण इत्यादि उपलब्ध करवाए गए। यहां दो क्विंटल क्षमता का बल्क मिल्क कूलर, एसएनएफ एनालाइजर, अल्ट्रासोनिक स्टरर, कम्प्यूटर इत्यादि स्थापित हैं। सकीना यहां दुग्ध प्रापण का कार्य देख रही हैं।

वर्तमान में सकीना अपने फार्म से लगभग 112 लीटर (1.12 क्विंटल) दूध प्रतिदिन प्राप्त कर रही हैं। फार्म में वह एचएफ नस्ल की 14 गाएं पाल रही हैं। लगभग साढ़े चार लाख रुपए की लागत से एक आधुनिक शेड का भी निर्माण किया है। पशु चारा स्थानीय स्तर के साथ ही पंजाब से भी ला रही हैं। मिल्किंग मशीन व चारा कटर पर करीब 50 हजार रुपए निवेश किए हैं। गोबर खाद के रूप में उपयोग हो रहा है।

फार्म में एक व्यक्ति को रोजगार भी दिया है। बतौर सकीना उन्हें प्रतिमाह लगभग सवा लाख रुपए तक आय हो रही है। उनकी सोसायटी से कून के अलावा कोट, लंबीधार, द्रुब्बल, त्रैहड़, माहन इत्यादि गांवों के लगभग 70 परिवार जुड़ चुके हैं। इन्हें मिलाकर सहकारी समिति की आय दो लाख रुपए प्रतिमाह तक पहुंच रही है।

राज्य सरकार द्वारा दूध के खरीद मूल्य में बढ़ोतरी से यहां किसानों की आय भी बढ़ी है और हौसला भी। बकौल सकीना उन्हें दूध की गुणवत्ता के अनुरूप 41 से 44 रुपए प्रति लीटर का दाम मिल रहा है। इस साल गाय के दूध का न्यूनतम समर्थन मूल्य 51 रुपए करने के लिए सकीना ने मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू का आभार जताया है।

ग्राम पंचायत उपप्रधान विजय कुमार के बोल 

ग्राम पंचायत उपप्रधान विजय कुमार ने कहा कि सकीना ठाकुर समाज के लिए एक उदाहरण हैं। इस युवा उद्यमी ने साबित किया है कि कोई भी कार्य छोटा-बड़ा अथवा कठिन नहीं होता। ग्रामीण स्तर तक दुग्ध समितियां स्थापित करने के लिए उन्होंने राज्य सरकार का भी आभार जताया है।

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