शाहपुर: कोरोना में हुआ सब ठप, फिर शुरू की सेब की खेती; 3 साल में कमा चुके 20 लाख रुपए का मुनाफा

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शाहपुर – नितिश पठानियां

कोरोना महामारी और उसके कारण हुए लॉकडाउन ने देश की अर्थव्यवस्था को हिला कर रख दिया था। अनगिनत सपनों को चूर कर दिया और कई घरों की आर्थिक स्थिति को बर्बाद कर दिया। उस समय जिला कांगड़ा की शाहपुर विधानसभा के पूरन चंद जैसे कई लोगों को अपने भविष्य का अंधकारमय लग रहा था।

महामारी के कारण उनका ट्रांसपोर्ट व्यवसाय बंद हो गया था, लेकिन उन्होंने पूरी तरह से खेती-किसानी में उतरने का निर्णय लिया और उनके इस फैसले ने उनकी स्थिति बदल दी। पूरन चंद बताते हैं कि मुझे सेब की कम ठंडक वाली किस्मों के बारे में जानकारी मिली। मैंने बहुत रिसर्च की और किसानों से सलाह-मशविरा करने के बाद, मैंने अपने खेत में 40 पौधे लगाए।

उन्होंने कहा कि साल 2019 में सैंपल फसल अच्छी थी, लेकिन तब तक ट्रांसपोर्ट ही उनका मुख्य व्यवसाय था। उनके पास तीन कैब थीं, जो निजी स्कूलों से जुड़ी थीं। उन्होंने बताया कि हिमाचल सरकार की पानी की टंकी निर्माण और कृषि भूमि के विकास के लिए सब्सिडी देने की योजना से उन्हें काफी मदद मिली।

बागवानी विभाग के अधिकारियों ने सेब की खेती के बारे में तकनीकी जानकारी प्रदान की है। इसके अलावा, एंटी-हेल नेट पर राज्य सरकार की ओर से 80 फीसदी तक सब्सिडी दी जा रही है। सेब भले ही हिमाचल प्रदेश की विरासत है, लेकिन यह ठंडे इलाकों में ही उगाया जा सकता है।

शाहपुर, जहां पूरन चंद का संबंध है, एक गर्म इलाका माना जाता है, लेकिन तमाम चुनौतियों को अपनी सूझबूझ से पार करके पूरन ने एक मिसाल कायम की। उन्होंने साबित कर दिया कि मेहनत करने वालों को सफलता मिलती है। एक रिपोर्ट के मुताबिक, सेब उत्पादन से उन्होंने 20 लाख रुपये तक का मुनाफा कमाया है।

देशभर में सेब के पौधों की सप्लाई

पूरन चंद ने सेब के पौधों की एक नर्सरी भी स्थापित की है। उन्होंने बताया कि पिछले दो वर्षों में प्रदेश के साथ-साथ देश के विभिन्न राज्यों में अपनी नर्सरी के पौधे भेजे हैं। महाराष्ट्र के विदर्भ, औरंगाबाद, नागपुर, अमरावती, अहमदनगर के साथ मध्यप्रदेश के जबलपुर, नीमच, भोपाल और राजस्थान के जयपुर, हरियाणा, गुजरात, कर्नाटक के बीजापुर आदि राज्यों में साल 2021-22 में 10,000 सेब के पौधे और साल 2022-23 में 20,000 सेब के पौधे सप्लाई किए हैं।

उन्होंने बताया कि समय-समय पर वह खुद जाकर पौधों की प्रूनिंग आदि का कार्य करते हैं और वहां के बागवानों को इन पौधों की देखभाल के बारे में बताते हैं। वर्तमान में पूरन चंद की नर्सरी में लगभग 40 हजार सेब के पौधे आने वाले सीजन के लिए पूरी तरह तैयार हैं।

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