उत्तराखंड-अतुल उनियाल
विश्वविख्यात चिपको आंदोलन के प्रणेता और प्रख्यात पर्यावरणविद् पद्मविभूषण सुंदरलाल बहुगुणा के स्वजन उन्हें मिलने वाली स्वतंत्रता संग्राम सेनानी की पेंशन हस्तांतरित कराने के लिए भटक रहे हैं। यह पेंशन उनकी पत्नी विमला बहुगुणा को हस्तांतरित होनी है।
स्व. बहुगुणा के पुत्र राजीव नयन बहुगुणा ने आरोप लगाया कि देहरादून के मुख्य कोषाधिकारी कार्यालय ने पेंशन आवेदन के दस्तावेज ही खो दिए। अब अधिकारी उनकी बात तक सुनने को तैयार नहीं है। सरकारी मशीनरी की उपेक्षा से खिन्न राजीव ने इंटरनेट मीडिया पर पोस्ट वायरल कर अपनी नाराजगी जाहिर की है। दूसरी ओर देहरादून के जिलाधिकारी आर राजेश कुमार ने कहा कि मामले में मुख्य कोषाधिकारी से जवाब तलब किया गया है।
पर्यावरण संरक्षण के पुरोधा सुंदरलाल बहुगुणा ने केवल स्वतंत्रता संग्राम में अह्म भूमिका निभाई, बल्कि जीवनपर्यंत सामाजिक कुरीतियों के खिलाफ भी संघर्ष करते रहे। इसी वर्ष 21 मई को उनका निधन हो गया। सिस्टम की बेरुखी से आहत राजीव नयन बहुगुणा का आरोप है कि मुख्य कोषाधिकारी कार्यालय की लापरवाही से पेंशन के दस्तावेज गुम हुए हैं और अब अधिकारी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ रहे हैं। यहां तक कि दोबारा दस्तावेज जमा करने पर भी कोई जवाब नहीं दिया जा रहा।
उन्होंने बताया कि देहरादून के जिलाधिकारी को भी उन्होंने कई बार फोन किया, लेकिन वह फोन रिसीव नहीं कर रहे। हर बार डीएम के व्यस्त होने का बहाना बनाया जा रहा है। कहा कि सरकारी तंत्र की संवेदना मर चुकी है, उनके पास स्वतंत्रता सेनानी के प्रकरण के लिए भी समय नहीं है। इंटरनेट मीडिया पर वायरल पोस्ट में उन्होंने सवाल उठाया कि ‘क्या यह सब किसी के इशारे पर किया जा रहा है?’ तंत्र के रवैये से खिन्न राजीव ने यहां तक कहा कि अब उन्हें पेंशन नहीं चाहिए।
जिलाधिकारी देहरादून आर राजेश कुमार ने बताया कि पद्मविभूषण सुंदरलाल बहुगुणा का प्रकरण मेरी जानकारी में आया है। कोषाधिकारी कार्यालय की लापरवाही पर मुख्य कोषाधिकारी का जवाब-तलब किया गया है। साथ ही उन्हें पेंशन प्रकरण के जल्द निस्तारण के निर्देश दिए गए हैं। वहीं, उत्तराखंड के अपर मुख्य सचिव (गृह) आनंद वर्धन का कहना है कि यह मामला संज्ञान में नहीं है। अगर ऐसा है तो इसका जल्द निस्तारण कराया जाएगा।