शाहपुर – नितिश पठानियां
शाहपुर के नेरटी गांव की ‘संस्कृति’ धर्मशाला कॉलेज की लिट्रेचर एम्बेसडर बनकर चमक बिखेर रही है। बुधवार को सम्पन्न हुई महाविद्यालय काव्य -पाठ प्रतियोगिता में उसने प्रथम स्थान हासिल कर एक बार फिर अपनी साहित्यिक प्रतिभा का लोहा मनवाया है। ‘संस्कृति’ कॉलेज के विभिन्न साहित्यिक आयोजनों में शीर्ष पर रहते हुए अपनी चमक बिखेर रही है।
बीते दिनों नेहरु युवा केन्द्र धर्मशाला और डिग्री कॉलेज धर्मशाला के राष्ट्रीय सेवा योजना प्रभाग के संयुक्त तत्वावधान में ‘हमारी विरासत, हमारी परम्परा-हमारी पहचान’ विषय पर आयोजित जिला स्तरीय युवा भाषण प्रतियोगिता में दूसरा स्थान प्राप्त कर प्रमाण पत्र सहित पच्चीस सौ की पुरस्कार राशि जीती थी।
पिता भी रहे हैं धर्मशाला कॉलेज के लिट्रेचर एम्बेसडर
‘संस्कृति’ के पिता दुर्गेश नन्दन एक स्थापित, रंगकर्मी, साहित्यकार एवं शिक्षाविद्ध हैं। वे कांगड़ा जनपद की लोक संस्कृति के संरक्षण को लेकर प्रयासरत नेरटी स्थित कांगड़ा लोक साहित्य परिषद के सदस्य हैं और साहित्यिक पत्रिका ‘बाणेश्वरी’ के संपादक हैं।
दुर्गेश नन्दन की उच्च शिक्षा धर्मशाला कॉलेज में हुई हैं और यूनिवर्सिटी के रिजनल सेंटर के भी स्टूडेंट्स रहे हैं। कॉलेज के दिनों में दुर्गेश नन्दन एक चर्चित साहित्यकर्मी और रंगकर्मी रहे हैं और कॉलेज के लिए कई पुरस्कार जीते हैं।
दादा ने धर्मशाला कॉलेज में तैयार की साहित्य के लिए जमीन
‘संस्कृति’ के दादा गौतम शर्मा व्यथित ने धर्मशाला कॉलेज में अध्यापनरत रहते हुए साहित्य और लोक संस्कृति के लिए जमीन तैयार करने में अहम भूमिका अदा की है। उन्होंने पचास साल पहले कांगड़ा लोक साहित्य परिषद की स्थापना की थी।
रिटायर्ड़ कॉलेज प्रिंसिपल ‘व्यथित’ ने कांगड़ा के लोक नृत्य झमाकड़ा को पुनर्जीवित करने में अहम भूमिका अदा की है। हाल ही में उनका ‘ विपाशा का गांव’ उपन्यास प्रकाशित हुआ है। इन दिनों वे अपने नए पहाड़ी काव्य संग्रह को अंतिम रूप देने में जुटे हैं।