मंडी – अजय सूर्या
आईआईटी मंडी के स्टूडेंट्स ने एक ऐसा ऑस्केल्टेशन मॉडल बनाया है जो स्टेथोस्कोप में सिर्फ उसी बीमारी की आवाज सुनाएगा जिसकी धड़कनों के बारे में ट्रेनी डॉक्टर अध्ययन करना चाहते हों। यह मॉडल सहायक प्रोफेसर डॉ. गजेंद्र सिंह के नेतृत्व में स्टूडेंट विनम्र, नरेश मीणा, सोनू कुमार मीणा, तरूण, रिजवाना और अभिज्ञान की टीम ने बनाया है।
डॉ. गजेंद्र सिंह ने बताया कि एक स्टेथोस्कोप के माध्यम से इंसान के शरीर की विभिन्न धड़कनों की आवाज सुनकर बीमारी का पता लगाया जाता है। हर बीमारी की धड़कन की आवाज अलग होती है और यह धड़कनें शरीर के अलग-अलग हिस्सों में होती हैं। डॉक्टर इन आवाजों की पहचान करना अपने प्रशिक्षण के दौरान सीखते हैं। इसके लिए वे ऑस्केल्टेशन यंत्रों का सहारा लेते हैं। लेकिन उन्होंने जिस ऑस्केल्टेशन मॉडल को बनाया है उसे एक ऐप के साथ जोड़ा है।
जैसे ही ऐप पर आप बीमारी सिलेक्ट करके मरीज के शरीर पर स्टेथोस्कोप को लगाएंगे तो आपको सिर्फ उसी बीमारी की आवाज सुनाई देगी। यदि आपने स्टेथोस्कोप को शरीर के किसी दूसरे हिस्से से स्पर्श करवाया तो आपको कोई आवाज नहीं सुनाई देगी। इससे ट्रेनी डॉक्टरों को आवाज की पहचान करने और उन्हें सीखने में काफी ज्यादा मदद मिलेगी।
डॉ. गजेंद्र सिंह ने बताया कि धड़कनों की आवाजें उपलब्ध करवाने में एम्स बिलासपुर के फिजियोलॉजिस्ट डॉ. भूपेंद्र पटेल ने अपनी अहम भूमिका निभाई है, जिसके चलते ही इस मॉडल में इन आवाजों को रिकॉर्ड किया जा सका है।
उन्होंने बताया कि आज बाजार में यह ऑस्केल्टेशन उपकरण विभिन्न कंपनियों द्वारा उपलब्ध करवाए जाते हैं जिनकी कीमत लाखों से शुरू होकर करोड़ों तक जाती हैं। लेकिन उन्होंने जो मॉडल बनाया है वह मात्र 30 हजार में बनाया है। जब इसे बाजार में उतारा जाएगा तो फिर उसे सही ढंग से बनाने के बाद यह 50 हजार से 1 लाख की कीमत में उपलब्ध हो जाएगा।