शिमला- जसपाल ठाकुर
राजा साहब का यह अभिमन्यु अकेला कौरवों के चक्रव्यूह को भेदने निकला और जीत कर लौटा। यह इस युवा का करिश्मा था जिसने मंडी जैसे पहाड़ को जीतने की चुनौती स्वीकार की ओर अकेला शेर की मांद में घुस गया।
मंडी का रण जीतना आसान चुनौती नहीं थी क्योंकि दो साल पहले यह सीट कांग्रेस ने सवा चार लाख वोट से हारी थी और उससे दो साल पहले मंडी लोकसभा में आने वाली 17 सीट में महज दो सीट जीती थी। यहां हार मतलब कैरियर दाव पर लगाने का जुआ था।
उसके बाबजूद राजा साहब की विरासत को संभालने निकले इस युवा ने खुद इस चुनौती को स्वीकार किया और अकेले मैदान में उतर गया। यह पहला चुनाव था जिसे राजा साहब के बगैर लड़ना था।एक तरफ यह युवा तो दूसरी तरफ धनबल के साथ पूरी सरकार और उसका अमला खड़ा था। हार का मतलब राजनीतिक मौत थी। लेकिन पिता के द्वारा किए गए काम और कमाए गए लोग ढाल बनकर इस युवा के साथ खड़े हो गए और कारवां बनता चला गया।
सिकंदर वो बनता है जो लहरों के विपरीत तैरता है। शेर के जबड़े मे हाथ डालकर उसका निबाला खींच लाना सिर्फ वीरों के हाथ मे है।राजा साहब ने भी पिछली बार दो बार हारी हुई सीट अर्की चुनी थी और जीत हासिल की थी। वो भी खतरों के खिलाड़ी थे उनके सपुत्र ने तो उससे बड़ी चुनोती को टक्कर दे दी। यह जीत इस युवा के पोलिटिकल कैरियर को आसमान की बुलंदियों पर ले जाएगी।
हॉली लॉज का करिश्मा यह युवा वापिस ले आया है।क्षेत्रवाद की दीवारों को भेदता हुआ यह वीर आसमान को फतह कर के लोटा है। विरासत कैसे संभाली बचाई ओर चलाई जाती है यह इस चेहरे ने साबित किया है। राजा साहब के जाने के बाद जो शून्य पैदा हुआ था उसे इसने चंद महीनों में भरकर पूरी कांग्रेस को जीवित कर दिया है।
कांग्रेस में जोश है जो एक दबी कुचली पार्टी को चाहिए होता है वो इस जीत से हासिल हुआ है। सत्ता के सेमीफाइनल को न केवल जीता है बल्कि उपचुनाव के उस मिथ को भी तोड़ा है कि लोग उपचुनाव में सत्तारूढ़ पार्टी के साथ चलते हैं। कांग्रेस उत्साहित है कार्यकर्ता प्रफुल्लित है, अब डरी कुचली भाजपा की सिर्फ गर्दन मरोडनी है 2022 में वाकी काम हो चुका है।
राजा साहब कल बारिश बनकर आसमान से बरसे ओर सबको आशीर्वाद दे गए। कांग्रेस को जिस नेतृत्व की तलाश थी वो पूरी हो चुकी है। काली अंधेरी रात के बाद सूरज चमक उठा है। जो जीता वही विक्रमादित्य।