नूरपुर – स्वर्ण राणा
जिला कांगडा़ के क्षेत्रीय बागवानी अनुसंधान एवं प्रशिक्षण केंद्र, जाच्छ (नूरपुर) की सहायक प्रोफेसर (मृदा वैज्ञानिक) रेणु कपूर ने जानकारी देते हुए कहा कि किसानों को बीज बुआई और उर्वरकों के प्रयोग से पहले मृदा परीक्षण करवाना चाहिए।
उन्होंने जनाकारी देते हुए बताया कि केन्द्र के द्वारा किसानों को बीज बुआई और उर्वरकों के प्रयोग से पहले मृदा परीक्षण को एक आवश्यक प्रारंभिक कदम के रूप में अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। उन्होंने क्षेत्र के किसानो से आवाह्न किया है कि किसान आए और अनुसंधान केन्द्र जाच्छ मे बीज बुआई और उर्वरकों के प्रयोग से पहले मृदा परीक्षण करवाएं।
उन्होंने कहा कि मिट्टी में पोषक तत्वों की स्थिति की जानकारी से उर्वरकों का प्रभावी और संतुलित उपयोग संभव होता है, जिससे लागत में कमी आती है और मिट्टी की दीर्घकालिक सेहत को नुकसान होने से बचाया जा सकता है। इसके साथ ही, एकीकृत पोषक तत्व प्रबंधन (INM) और प्राकृतिक खेती जैसी पद्धतियों को अपनाने की भी सलाह दी है ताकि मिट्टी की उर्वरता और टिकाऊपन बनाए रखा जा सके।
INM के अंतर्गत जैविक खाद, बायोफर्टिलाइज़र और रासायनिक उर्वरकों का संतुलित रूप से उपयोग किया जाता है, जबकि प्राकृतिक खेती पूरी तरह से जीवामृत, गोबर, कम्पोस्ट, जैविक कीटनाशकों और मल्चिंग जैसे प्राकृतिक संसाधनों पर आधारित होती है। ये तरीके न केवल फसल उत्पादन में वृद्धि करते हैं, बल्कि मिट्टी की जैव विविधता को भी बनाए रखते हैं और रासायनिक इनपुट पर निर्भरता को कम करते हैं।