शिमला, 30 दिसंबर – नितिश पठानियां
ईडी के सहायक निदेशक विशाल दीप सिंह के रिश्वत मामले के तार हिमाचल के बहुचर्चित स्कॉलरशिप घोटाले से जुड़े हुए हैं। शैक्षणिक संस्थानों के मालिकों ने ईडी के सहायक निदेशक विशाल दीप सिंह पर 25 करोड़ की रिश्वत मांगने के आरोप लगाए हैं।
इस मामले में सीबीआई ने कार्रवाई करते हुए 55 लाख रुपये की रिश्वत बरामद की है। मुख्य आरोपी विशाल दीप सिंह फिलहाल फरार है।
क्या है मामला?
स्कॉलरशिप घोटाला हिमाचल में 2013 से 2017 के बीच लगभग 181 करोड़ रुपये की छात्रवृत्ति राशि के गबन से संबंधित है। यह राशि केंद्र सरकार की ओर से एससी, एसटी और ओबीसी श्रेणियों के छात्रों की मदद के लिए दी गई थी।
वर्ष 2019 में राज्य सरकार के अनुरोध पर सीबीआई ने मामले की जांच शुरू की। जांच में पाया गया कि 276 शैक्षणिक संस्थानों में से 29 संस्थानों ने इस राशि का दुरुपयोग किया।
शैक्षणिक संस्थानों के मालिकों का आरोप है कि अक्टूबर 2023 तक सब कुछ ठीक चल रहा था, लेकिन नवंबर में सहायक निदेशक विशाल दीप सिंह ने संस्थानों को ईडी कार्यालय बुलाकर परेशान करना शुरू कर दिया। उन्होंने हर संस्थान से 1-1 करोड़ रुपये की मांग की और पैसे न देने पर गिरफ्तारी की धमकी दी।
संस्थान मालिकों ने शिमला में आयोजित पत्रकार वार्ता में कहा कि रिश्वत की मांग ने उन्हें इतना परेशान किया कि आत्महत्या करने की नौबत आ गई। मजबूरन उन्होंने सीबीआई से शिकायत की।
सीबीआई ने शिकायत के आधार पर कार्रवाई करते हुए जीरकपुर और पंचकूला में जाल बिछाया। यहां आरोपी रिश्वत लेने के लिए पहुंचे। सीबीआई ने 55 लाख रुपये की रिश्वत की रकम बरामद की। आरोपी का भाई विकास दीप सिंह भी इस साजिश में शामिल पाया गया।
ईडी के दो अन्य अधिकारियों नीरज गर्ग और सुनील कुमार पर भी रिश्वत मांगने के आरोप लगाए गए हैं। सीबीआई की रेड के बाद ईडी ने मुख्य आरोपी विशाल दीप सिंह को सस्पेंड कर दिया है, लेकिन वह अब तक फरार है।
स्कॉलरशिप घोटाले में हिमाचल और बाहरी राज्यों के 27 संस्थानों पर गंभीर आरोप हैं। इनमें से 19 संस्थान हिमाचल के और 8 अन्य राज्यों के हैं। सीबीआई ने पहले भी कई संस्थानों के अधिकारियों को गिरफ्तार किया है।
ईडी ने पंजाब के एक संस्थान की 4.50 करोड़ रुपये की संपत्ति अटैच की थी, जिसमें हिमाचल के ऊना में एक अध्ययन केंद्र शामिल है।
हाईकोर्ट ने भी मामले की निगरानी की और समय-समय पर रिपोर्ट तलब की। यह घोटाला छात्रों के भविष्य से खिलवाड़ और सरकारी योजनाओं के दुरुपयोग का गंभीर मामला है।