लुधियाना – व्यूरो रिपोर्ट
पंजाब के संगरूर जेल में बंद हरियाणा का कुख्यात बदमाश जाली एडीजीपी बनकर पुलिस में फर्जी भर्ती का रैकेट चला रहा था। जेल में उसने हाईटेक सिस्टम तैयार किया और इसके माध्यम से पूरे देश से लगभग 400 नौजवानों को अपना शिकार बना चुका है।
यही नहीं उसका एक साथी लुधियाना में ही अपने घर पर कंप्यूटर, फर्जी स्टैंप लगाकर कागजात तैयार करता था। पुलिस ने दोनों को गिरफ्तार कर पांच दिन के पुलिस रिमांड पर लिया है और उनसे पूछताछ की जा रही है।
पुलिस कमिश्नर मनदीप सिंह सिद्धु ने मंगलवार को बताया कि संगरूर जेल में बंद कुरुक्षेत्र के रहने वाले कुख्यात अपराधी अविलोक विराज खत्री ने जेल में बैठकर ही पुलिस के इंटरनल सिस्टम क्राइम क्रिमिनल ट्रैकिंग नेटवर्किंग सिस्टम (सीसीटीएनएस) की वेबसाइट बनाई थी। इसके माध्यम से आरोपी अब तक 400 लोगों से प्रति व्यक्ति 999 रुपये की ठगी कर चुके हैं। वह युवाओं को सीसीटीएनस के अधीन वालंटियर के तौर पर काम के लिए रखते थे।
सिद्धू ने बताया कि गोपनीय सूचना के आधार पर कार्रवाई करते हुए लुधियाना पुलिस के साइबर सेल ने इस मामले को सुलझाने में अहम भूमिका निभाई है। इस संबंध में थाना डिवीजन नंबर सात में मामला दर्ज किया गया है।
उन्होने बताया कि बदमाशों ने खुद को केंद्र की योजना का हिस्सा बताते थे। वह युवाओं से कहते थे कि उनका काम खुफिया एजेंसियों की तरह पुलिस के लिए काम करना है और यह केंद्र की योजना का हिस्सा है।
उन्हें बाकायदा तौर पर आई कार्ड बनाकर दिए गए थे और उन्हें वेरीफिकेशन के लिए अलग अलग स्टेट के अधिकारियों को लिखे पत्र भेजकर यकीन दिलाते थे कि उनकी ज्वाइनिंग जल्द करवा दी जाएगी।
पुलिस के पास एक ऐसे युवक ने पहुंच की थी जो उनकी ठगी का शिकार हुआ था। साइबर क्राइम की टीम ने सबसे पहले पंकज सूरी नामक व्यक्ति की शिनाख्त की, जो जेल में बैठे अविलोक के साथ मिलकर ठगी का यह नेटवर्क चला रहा था और जेल से बाहर बैठकर कागजात तैयार करता था। पुलिस ने उसके पास से तीन लेपटाप, रंगदार प्रिंटर और अलग अलग विभागों की स्टैंप बरामद कीं हैं।
पूछताछ में पंकज सोनी ने बताया कि इस रैकेट का मास्टरमाइंड अमन है, जो जेल के अंदर से मोबाइल फोन के जरिए इस रैकेट को चला रहा था। आरोपियों ने पंजाब के अलावा यूपी, झारखंड, महाराष्ट्र, तेलंगाना समेत देश के अलग-अलग हिस्सों में फर्जी कमांडेंट और डिप्टी कमांडेंट की भर्ती के नाम पर सीसीटीएनएस वालंटियर्स के फर्जी फॉर्म भी भरे।
यह पूरा रैकेट ऑनलाइन चलाया जाता था और पेटीएम के जरिए पैसे की मांग की जाती थी। जांच के दौरान पुलिस ने पंकज सूरी के पास से एक फर्जी आईडी कार्ड, तीन लैपटॉप, एक प्रिंटर, पांच मोबाइल फोन, चार स्टांप, दो फर्जी आईडी कार्ड और एक फर्जी पत्र भी बरामद किया।