सफलता की कहानीः नौकरी के पीछे भागने के बजाय भाग सिंह ने पुष्प उत्पादन कर चुनी आत्मनिर्भरता की राह

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1700 वर्ग मीटर भूमि पर फूलों की खेती से कमा रहे 10 से 12 लाख रुपये सालाना

हिमखबर डेस्क 

नौकरी के पीछे भागने के बजाय उच्च शिक्षित युवा अब खेती में कुछ अलग कर सफलता की नई इबारत लिख रहे हैं। उपमंडल गोहर के चरखा गाँव के भाग सिंह इन्हीं में से एक हैं।

कृषि में रूचि का आलम ऐसा कि आईटी सेक्टर की नौकरी को तिलांजलि दे अब पुष्प उत्पादन से आत्मनिर्भरता की राह प्रशस्त की है।

भाग सिंह बताते हैं कि उन्होंने सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) विषय में पढ़ाई की है। कुछ समय आईटी क्षेत्र में नौकरी की, मगर मन कृषि क्षेत्र में ही रमा रहा। ऐसे में घर में ही पुश्तैनी जमीन पर बागवानी का फैसला किया।

शुरूआत में पारंपरिक तकनीक से ही खेती-बाड़ी किया करते थे, जिसमें गेहूं, मटर, जौ, मक्की जैसी फसलें उगाते। कभी समय पर बारिश न होने, तो कभी ओले पड़ने जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता था, जिससे फसलों के अच्छे परिणाम नहीं मिल पाए।

खेती-बाड़ी में रूचि बहुत थी। ऐसे में हार मानने के बजाय बागवानी विभाग के अधिकारियों से सम्पर्क कर परंपरागत खेती को आधुनिक खेती में बदलने का फैसला किया।

उन्होंने पॉलीहाउस लगाकर फूलों की खेती करने का सुझाव दिया। विभाग द्वारा कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर में उन्हें प्रशिक्षण भी दिया गया।

भाग सिंह ने शुरू में एकीकृत बागवानी विकास मिशन व हिमाचल पुष्प क्रांति योजना के तहत वर्ष 2020 में तीन पॉलीहाउस लगाकर कार्नेशन फूलों की खेती शुरू की।

अच्छी फसल व बाजार में बेहतर दाम मिलने पर वर्ष 2022, 2023 और 2024 में अतिरिक्त पॉलीहाउस स्थापित किए और कार्नेशन की खेती को विस्तार दिया।

वर्तमान में वे लगभग 1700 वर्ग मीटर भूमि पर कार्नेशन, स्प्रे कार्नेशन, स्टोमा, जिप्सो किस्म के फूलों की खेती कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि वे कार्नेशन दिल्ली शहर में बेचते हैं। इससे प्रतिवर्ष लगभग 12 लाख रुपए की आमदनी हो जाती है।

उन्होंने बताया कि पॉलीहाउस के निर्माण, फूलों की प्लांटेशन, ड्रिप इरिगेशन, स्पोर्टिंग नेट इत्यादि पर अभी तक उनका कुल खर्च 20 लाख रुपए के लगभग हुआ है। इसमें लगभग 15 से 16 लाख रुपए सब्सिडी सरकार की ओर से प्रदान की गई है।

इसके लिए उन्होंने सरकार व विभाग का आभार व्यक्त किया है। उनका कहना है कि विभिन्न योजनाओं के तहत किसानों को आत्मनिर्भर बनाने के प्रदेश सरकार के यह प्रयास सराहनीय हैं।

हिमाचल पुष्प क्रांति योजना व एकीकृत बागवानी विकास मिशन के तहत गोहर ब्लॉक में अभी तक 66 किसान पॉलीहाउस तकनीक से फूलों की खेती कर रहे हैं।

एकीकृत बागवानी विकास मिशन व हिमाचल पुष्प क्रांति योजना के तहत वर्ष 2022 से अभी तक विभाग द्वारा लगभग 60 लाख रुपए की राशि उपदान के रूप में किसानों को प्रदान की गई है।

हिमाचल पुष्प क्रांति योजना के तहत वर्ष भर उच्च मूल्य वाले फूलों की संरक्षित खेती करने के लिए पॉलीहाउस तकनीक का प्रशिक्षण कृषकों को दिया जाता है।

इसके अतिरिक्त ग्रीन हाउस, शेड, नेट हाउस इत्यादि विधियां अपना कर फूलों की खेती के लिए प्रोत्साहित किया जाता है, ताकि किसान राष्ट्रीय और अन्तराष्ट्रीय मंडी की मांग के अनुसार विदेशी फूलों का उत्पादन करने में सक्षम हो सकें।

युवाओं को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से पुष्प परिवहन के लिए बस किराए में 25 प्रतिशत छूट और आवारा पशुओं से खेत को सुरक्षित रखने के लिए सौर ऊर्जा बाड़ लगाने की लागत पर 85 प्रतिशत सब्सिडी प्रदान की जाती है। योजना के तहत पॉलीहाउस के निर्माण के लिए 85 प्रतिशत सब्सिडी का प्रावधान है।

एकीकृत बागवानी विकास मिशन (एमआईडीएच) बागवानी क्षेत्र के समग्र विकास के लिए एक केंद्र प्रायोजित योजना है जिसमें फूलों की खेती के लिए सरकार द्वारा 50 प्रतिशत उपदान दिया जाता है। प्रधानमंत्री कृषक योजना के तहत उन फूलों की सिंचाई के लिए ड्रिप इरिगेशन के तहत 80 प्रतिशत सब्सिडी प्रदान की जाती है।

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