हिमखबर डेस्क
हिमाचल प्रदेश मे ऐसे भी शिक्षक है, जो केवल कर्तव्य को ही अपना धर्म मानते है, उनमे से डाइट कांगड़ा मे प्रवक्ता के पद पर अपनी सेवाएं दें रहे डॉ जोगिंन्द्र सिंह, जो कि ऐसे ही शिक्षक है। जिन्होंने अपनी 29 वर्ष की अध्यापन के सेवा काल मे अपनी पूजनीय माता के स्वर्गवास सिधारने पर केवल 10 दिन का ही अर्जित अवकाश लिया था।
हालांकि उन्हें हर वर्ष 30 दिन का अर्जित अवकाश मिलता है। इसके आलावा आकस्मिक अवकाश भी कम ही लेते है। मेडिकल अवकाश तो कभी नहीं लिया। डॉ जोगिंन्द्र सिंह डाइट मे पढ़ाने के आलावा सेवारत शिक्षकों के प्रशिक्षण कार्यक्रम के आलावा समग्र शिक्षा के बहुत सारे कार्यक्रमों क़ो देखते है।
करोना काल के दौरान इन्होंने विभाग द्वारा चलाये जा रहे हर घर पाठशाला के अतर्गत 2 साल लगातार काम करते हुए राजनीती विज्ञान विषय के 11वीं तथा 12वीं कक्षा के लगभग 75 वीडिओ वना कर शिक्षा की लौ जगाये रखी। वे हमेशा मिलनसार तथा अध्यापको की समस्यों का निदान करते रहते है।
पूर्व अध्यापक नेता विजय राणा के बोल
पूर्व अध्यापक नेता विजय राणा ने वताया कि शिक्षक अवार्ड के असली हक़दार ऐसे ही शिक्षक होते है, जिन्हे सरकार और विभाग अक्सर नज़रअंदाज करते हैं।
डॉ जोगिंदर सिंह के बोल
जब इस वारे मे डॉ जोगिंदर सिंह से पूछा गया तो उन्होंने वताया कि उन्हें अवार्ड कोई मायने नहीं रखता है, उन्हें अपना काम करते हुए संतुष्टि होती है।