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शाहपुर – नितिश पठानियां 

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शांति-निवास ठम्बा में पठानिया परिवार द्वारा आयोजित “श्रीमद्भागवत-कथा” के षष्टम्-दिवस की कथा प्रसंग में कथा-प्रवक्ता पं. बद्री प्रसाद शास्त्री ने कहा कि आपकी भावना अच्छी है तो आपका स्वर्ग आपसे कोई नहीं छीन सकता।

भावना वैसी हो हे प्रभु, मुझे इर्ष्या नहीं ईश्वर चाहिए, मैं संसार में अपनीः प्रसिद्धि के लिए नही अपनी विशुद्धि के लिए खोना चाहता हूँ. मैं हर काम करूँ यह जरूरी नहीं, पर मैं हर किसी के काम आऊ।

जिसका यह मनना है कि मेरा ती मेरा है, तेरा भी मेरा है, तो ये मिथ्या-कुदृष्टि है, जो यह मानते हैं कि मेरा मेरा है और तेरा तेरा है यह “सम्यक दृष्टि” है और जो यह मालते हैं कि तेरा तो तेरा ही है, मेरा भी तेरा है यह “संत-दृष्टि” है और जो यह मानते हैं कि न मेरा है न तेरा है सब झमेला है ये ‘हंस-दृष्टि” है।

भगवान पैसी हंस-दृष्टि सबको प्रदान करें।शास्त्रीजी ने कहा कि अपने जीवन में हर जगह संतोष रखिये भोग में, भोजन में, धन-सम्पति में, किन्तु भक्ति में मोक्ष का लोभ रखिये जिसको भक्ति में संतोष होता है उसकी भक्ति कच्ची है।

भक्ति में तड़प हो तनाव नहीं, भक्ति का लोभ मोक्ष का द्वार खोल देता है, मोक्ष पाने का लोभ करो। अपने जीवन में भगवान के भजन को नित्य-अनिवार्य करें। जो भगवान के भजन को अनिवार्य मान लेते हैं वे तर जाते है।

क्रोध और नफरत कभी न करें, क्रोध और नफरत की भावना मन को, तन को, हृदय को बीमार कर देती है जबकि शुभ आवना, शुभ कामना मन को विशाल और महान बना देती है। ‘वर्तमान में घट रही पटनाएँ, समाज केलिए भविष्य की सीख है।

अनुसाशन और तप स्वयं का विकास करता है। जीवन के कल्याण के लिए, जीवन की समृद्धि के लिए अपनी मर्यादा और संस्कारों को बनाए रखें। किसी को जीना आये तो जो आनंद गृहस्थ में वह कहीं भी नहीं है।

भारतीय संस्कृति में धर्मगुरुओं का समाज में सर्वोच्च स्थान है। धर्मगुरु आम आदमी के लिए आदर्श है, धर्मगुरुओं का जीवन त्याग और सादगी का पर्यायी मना जाता है।

समाज धर्म, न्याय, सत्य, त्याग, सदाचार इमानदारी के पथ पर चलने की प्रेरणा लेते हैं यदि धर्मगुरु ही अनीति, अधर्म की राह पकड लेंगे तो लोगों का धर्म से ही विश्वास उठ जाएगा। समाज को योग्य-अयोग्य धर्मगुरुओं की परख होनी चाहिए

इस अवसर पर रुक्कमणि-कृष्ण विवाह की दिब्य झांकियां निकाली गयी। पं. वाणी भूषण, चन्द्र भूषण शर्मा, तुधार, अंकित, आकाश, रवि आदि विप्रवृन्दों ने यजमान परिवार से विधिवत पूजन करवाया तथा ग्राम, नगर, क्षेत्र के सैकड़ों भक्तजनों ने कथा का आनंद लिया।

उन्होंने बताया कि कल रविवार 7 अप्रैल को दैनिक पूजन हवन प्रातः 8 से 10 तक होगा, कथा-समय प्रातः 10 से 1 बजे तक रहेगा, तदोपरान्त भागवत, ब्यास, कन्या पूजन, आरती, भोग, और बड़ी धूमधाम से नंदोत्सव मनाया जायेगा और दोपहर 1 बजे से हरि इच्छा तक विशाल भण्डारे का आयोजन आयोजित किया है।

द्रोणाचार्य महाविध्यालय के संस्थापक जी.एस. एवं बी-एस, पठानिया ने सभी सनातन धर्म प्रेमी सुहृदजनों को अपने इष्टमित्रों सहित सपरिवार सादर आमंत्रित किया है।

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