लेखक – राजीव डोगरा
आओ! कभी मेरे शहर में
तुम गैरों को अपना बनाकर
दिल लगाना सिखाए।
आओ! कभी मेरे शहर में
तुमको हर एक शख्स़ से
मोहब्बत करना सिखाए।
आओ! कभी मेरे शहर में
तुम को नफरतों के बीच में
पलता इश्क दिखाएं।
आओ! कभी मेरे शहर में
तुम को विषाद में भी
खिलते हुए चेहरे दिखाएं।
आओ! कभी मेरे शहर में
तुम को महकते पहाड़ो के बीच
पंछियों की मधुर वाणी सुनाएं।
मौलिकता प्रमाण पत्र
मेरे द्वारा भेजी रचना मौलिक तथा स्वयं रचित जो कहीं से भी कॉपी पेस्ट नहीं है।
राजीव डोगरा (भाषा अध्यापक) गवर्नमेंट हाई स्कूल ठाकुरद्वारा
पता-गांव जनयानकड़, पिन कोड -176038, कांगड़ा हिमाचल प्रदेश
9876777233, rajivdogra1@gmail.com