सोलन – जीवन वर्मा
जवानी में पति की मौत, पिता अधरंग के कारण बिस्तर पर हो और घर की आमदनी का सहारा दोनों ट्रकों को फाइनांसर ले जाएं तो किसी का भी हौसला टूट जाए। लेकिन, पतिव्रता सावित्री की तरह सोलन जिला की नीलकमल ने हिम्मत नहीं हारी।
हालांकि करीब 12 साल पहले सड़क हादसे में पति की जान तो नहीं बचा सकी, लेकिन परिवार को बिखरने नहीं दिया और खुद ट्रक का स्टीयरिंग संभाल लिया। जिला के पिपलुघाट की रहने वाली 39 वर्षीय नीलकमल हिमाचल प्रदेश की पहली महिला ट्रक चालक है।
अल्ट्राटेक कंपनी से सीमेंट की आपूर्ति कई राज्यों में करती है। नीलकमल के संघर्ष की कहानी किसी नायक से कम नहीं है। जब पति की मौत हुई थी, तब नीलकमल के पास पांच वर्ष का बेटा निखिल था।
हालांकि नीलकमल छोटी गाड़ी चला लेती थीं, लेकिन ट्रक चलाने का अनुभव नहीं था। पहचान के व्यक्ति से ट्रक चलाना सीखा और कुछ ही माह में वह पेशेवर ट्रक चालक बन गई।
इसके बाद एक ट्रक भी फाइनांसर से छुड़वा लिया और सीमेंट कंपनी में लगा दिया। मेहनत रंग लाई और कुछ ही वर्ष बाद दूसरा ट्रक खरीद लिया। नीलकमल करीब 10 साल से ट्रक चला रही हैं। ऋण चुकाने के बाद उनके पास दो ट्रक हैं।
महीने में कमा लेती हैैं एक लाख रुपये
साथ ही देसी नसल की 16 गाय रखी हैं। प्रतिदिन करीब 100 लीटर दूध बेचती हैं। सभी संसाधनों से नीलकमल प्रत्येक माह करीब एक लाख रुपये कमा लेती हैं।
नीलकमल न केवल अपने परिवार का सहारा बनी है, बल्कि भाई के बच्चों के पालन-पोषण का जिम्मा भी उठा रही है। नीलकमल के पिता करीब 16 साल से अधरंग से पीडि़त हैं। वह अपने माता-पिता को भी सहारा दे रही हैैं।
महिलाओं के लिए आसान नहीं ट्रक चलाना
नीलकमल का कहना है कि ट्रक चालक का पेशा महिलाओं के लिए इतना आसान नहीं है। आमतौर पर लोग ट्रक चालक को सम्मान भरी नजरों से नहीं देखते हैं। जब महिला ट्रक चालक हो तो नजरिया और भी अधिक गंदा हो जाता है। रात को अकसर शराबी उलझ जाते हैं, लेकिन इनकी कभी परवाह नहीं की।
लंबे रूट पर दिन-रात ट्रक चलाना पड़ता है। नीलकमल का कहना है कि अब काफी लड़कियां वाहन चला रही हैं। हालांकि पेशेवर चालक बनने के लिए काफी मेहनत करनी पड़ती है।