मानसिक क्रूरता के आधार पर ITBP जवान को पत्नी से मिला तलाक, व्यभिचार का भी था आरोप, कोर्ट की मामले में सख्त टिप्पणी

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मानसिक क्रूरता के आधार पर कोर्ट ने भंग किया विवाह, परिवार न्यायालय मंडी ने आइटीबीपी जवान की याचिका पर सुनाया निर्णय, न्यायालय की टिप्पणी,विवाह संबंधों में विश्वास, सम्मान व भावनात्मक सुरक्षा की आवश्यकता

हिमखबर डेस्क

परिवार न्यायालय मंडी ने मानसिक क्रूरता के आधार पर पति को पत्नी से तलाक की राहत प्रदान की है। सदर क्षेत्र के रहने वाले भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (आइटीबीपी) में सेवारत जवान ने हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 के तहत याचिका दायर की थी, जिसमें पत्नी पर मानसिक क्रूरता व व्यभिचार के आरोप लगाए थे।

जवान ने आरोप लगाया था कि उसकी पत्नी जमना देवी ने न केवल उसे मानसिक रूप से प्रताड़ित किया, बल्कि अखिलेश यादव नामक व्यक्ति के साथ अवैध संबंध भी बनाए। याचिका में यह भी दावा किया गया कि जमना ने उसे अश्लील तस्वीरें व धमकियां भेजीं।

इससे न केवल उसका पारिवारिक जीवन अस्त-व्यस्त हुआ, बल्कि सामाजिक प्रतिष्ठा को भी गंभीर ठेस पहुंची। जवान ने अपने समर्थन में अपनी मां सहित अन्य गवाहों के साथ-साथ एफआइआर व अश्लील फोटो दस्तावेज प्रस्तुत किए। जवान ने बताया कि जमना देवी बिना किसी सूचना के कई बार वैवाहिक घर व मायके से लंबे समय तक गायब रही, जो वैवाहिक जीवन में विश्वास की कमी व मानसिक उत्पीड़न का प्रतीक है।

दूसरी ओर, प्रतिवादी जमना देवी ने अपने बचाव में कहा कि पति ने उसके विरुद्ध साजिश रची। उसे घर से जबरन निकाल दिया। यह आरोप भी लगाया कि पति शराब के नशे में उसे मारता-पीटता था। उसका किसी अन्य महिला के साथ संबंध था। महिला ने अपने पिता सहित अन्य गवाहों को न्यायालय में प्रस्तुत किया, लेकिन उनके बयान असंगत व अविश्वसनीय पाए गए।

कोर्ट ने माना मानसिक क्रूरता का आधार

न्यायालय ने दोनों पक्षों की दलीलों व साक्ष्यों की विवेचना करते हुए यह निष्कर्ष निकाला कि पत्नी द्वारा बिना सूचना के घर छोड़ देना, दूसरे पुरुष के साथ संपर्क रखना। अश्लील चित्रों को भेजना मानसिक क्रूरता के पर्याप्त आधार हैं। हालांकि, न्यायालय ने यह भी कहा कि व्यभिचार जैसे गंभीर आरोप को साबित करने के लिए निरंतर व प्रत्यक्ष साक्ष्य की आवश्यकता होती है, जो इस मामले में अनुपस्थित थे। इसलिए इस आरोप को अस्वीकार कर दिया गया।

न्यायालय ने भंग किया विवाह

न्यायालय ने यह भी पाया कि विवाह संबंधों में विश्वास, सम्मान व भावनात्मक सुरक्षा की आवश्यकता होती है। जब यह तत्व समाप्त हो जाते हैं, तो विवाह का औचित्य समाप्त हो जाता है। न्यायालय ने आइटीबीवी जवान व जमना का विवाह जो 21 अक्टूबर 2010 को हुआ था, को क्रूरता के आधार पर भंग कर दिया।

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