ज्वालामुखी, शीतल शर्मा
शक्तिपीठ ज्वालामुखी में इन दिनों प्रतिदिन श्रद्धालु मंदिर के मुख्यद्वार तक पहुंच रहे हैं। मंदिर के कपाट बंद होने के कारण श्रद्धालु बाहर चरण पादुका के ही दर्शन और श्रद्धा से लाए सामान को चढ़ाकर उदास होकर लौट रहे हैं।
मंदिर प्रशासन की तरफ से तैनात सुरक्षा कर्मी श्रद्धालुओं को मुख्यद्वार तक नहीं पहुंचने दे रहे, इसलिए सीढ़ियों के नीचे से ही श्रद्धालु बिना दर्शन के लौट रहे हैं।
दो माह से मंदिर बंद हैं। ऐसे में मंदिर से जुड़े हर व्यवसाय के लोग और पुजारी वर्ग आहत है। उनकी जीविका पर कोरोना को दोहरी मार पड़ी है। शक्तिपीठ ज्वालामुखी में मुंबई, मध्य प्रदेश, ग्वालियर, दिल्ली और अन्य राज्यों से लोग पहुंच रहे हैं, लेकिन मंदिर बंद होने के कारण उन्हें बिना दर्शन किए ही अपने गंतव्य को लौटना पड़ रहा है।
श्रद्धालु अविनाश रॉय, जितेंद्र रॉय, मुकेश आहलुवालिया आदि ने बताया कि अन्य राज्यों की तर्ज पर प्रदेश सरकार को शक्तिपीठ नियमों के तहत खोल देने चाहिए, क्योंकि बस सेवा, सरकारी दफ्तर, बाजार अन्य पर्यटन स्थल खोल दिए गए हैं। ऐसे में मंदिर भी अब खोल देने चाहिए।
इस संदर्भ में पूर्व न्यास सदस्य और पुजारी हिमांशु भूषण दत्त और पुजारी वर्ग ने भी मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर से आग्रह किया है कि मंदिरों को अनुशासित और कोविड नियमों की पालना सहित खोल देना चाहिए, ताकि यहां पहुंच रहे श्रद्धालु दर्शन कर सकें।
साथ ही यहां के दुकानदार और अन्य व्यवसायों से जुड़े वर्ग और पुजारी जिनकी आजीविका मंदिर से ही जुड़ी है, को राहत मिल पाएगी। पुजारी वर्ग ने प्रदेश सरकार जल्द से जल्द शक्तिपीठ ज्वालामुखी और अन्य शक्तिपीठों को खोलने का निर्णय लेने की मांग की है, ताकि सभी को राहत मिल सके।