चम्बा – भूषण गुरुंग
दीपावली के ठीक दो दिन बाद आने वाले भाई दूज के त्यौहार को गोरखा समुदाय को लोग काफी उत्साह के साथ मनाते है। सुबह सब से पहले घर के मुख्या द्वार का पूजा किया जाता है उसके बाद भाई लोगो की पूजा होती है।
समय के साथ बदलाब तो आए है लेकिन इस पर्व के महत्त्व में नही। इस त्यौहार को भाई औऱ बहन को साल भर से बेसब्री से इंतज़ार रहता है। सुबह से ही बहने अपने हाथों से पारंपरिक पकवाने बनने में लग जाती है। इस दिन बहने ख़ास अपने भईयो के लिए उनके पसंदीदा पकवान बनाती है।
भाई चाहे कितनी भी दूर हो बहने अपने भाई को फोन ,व्हाट्स औऱ पत्र भेज कर आमंत्रित करती है । जैसे ही भाई बहन के घर पहुँचते है तो उनका भव्य स्वागत किया जाता है और उनकी आरती उतार कर उनको फूलों की मालाए पहनाई जाती है।
उसके बाद उनके माथे में सफेद रंग का लंबा तिलक लगा कर उसमें तीन तरह के गुलाल जिसमे लाल , नीला औऱ पीले रंग का गुलाल होता है वो लगाया जाता है।
उसके साथ ही उनके खुश करने के लिए उनके पसंदीदा पकवान जैसे सैल रोटी बटुक गुजिया ,फिनि, लुचिया, रसमलाई, और गोखली आलू की चटनी आदि भाइयो के समक्ष स्नेह भाव से परोसा जाता है।इस के एवज मे भाई लोग बहनों को सोने के आभूषण और कपडे पैसै देते है और खूब घरो में नाच गाने के साथ साथ शाम को अपने अपने घरों में चले जाते है।