केंद्र सरकार ने देश के अन्नदातों के पक्ष में बड़ा फैसला लिया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तीनों कृषि कानून वापस लेकर विपक्ष के हाथ से एक बड़ा मुद्दा छीन लिया है। हिमाचल प्रदेश में हालांकि किसानों का कोई आंदोलन नहीं हुआ था।
शिमला- जसपाल ठाकुर
केंद्र सरकार ने देश के अन्नदातों के पक्ष में बड़ा फैसला लिया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तीनों कृषि कानून वापस लेकर विपक्ष के हाथ से एक बड़ा मुद्दा छीन लिया है। हिमाचल प्रदेश में हालांकि किसानों का कोई आंदोलन नहीं हुआ था। कृषि कानूनों का यहां कोई विरोध नहीं हुआ था। लेकिन किसानी से जुड़े कुछ संगठन कानूनों का यहां खासकर बागवानी पर होने वाले असर से आशंकित थे।
कुछ समय पूर्व किसान नेता राकेश टिकैत ने सोलन, शिमला का दौरा किया था। लेकिन और तो और खुद कांग्रेस के नेता विधायक विक्रमादित्य सिंह ने उनके आचरण का विरोध किया था। टिकैत ने सोलन में एक आढ़ती को धमकाया था। भारतीय किसान संघ को हिमाचल में आंदोलन के लिए पुख्ता जमीन नहीं मिली।
सराहनीय फैसला- वीरेंद्र कंवर
कृषि मंत्री वीरेंद्र कंवर ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के फैसले की सराहना की है। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार देश और प्रदेश के किसानों के हितों के लिए बेहतरीन कार्य कर रही है। उन्होंने कहा कि मोदी ने ही किसानों की आय दुगनी करने का सपना देखा और इसे साकार करने के धरातल पर ठोस प्रयास हो रहे हैं।
संयुक्त किसान संघ ने बताई बड़ी जीत
संयुक्त किसान मंच हिमाचल प्रदेश के अध्यक्ष हरीश चौहान ने कहा कि तीनों कृषि कानून वापस होने से देश के किसानों की जीत हुई है। उन्होंने कहा कि मंच इन कानूनों को काला कानून की संज्ञा दे रहा था। उन्होंने कहा कि जिन किसानों ने आंदोलन में शहादत दी है, कुर्बानी दी है, उनके योगदान और शहादत को भूलाया नहीं जा सकेगा। उन्होंने कहा कि अगर कानून लागू रहते तो हिमाचल के बागवानों को भी बड़ा नुकसान होता।
संजय चौहान, सचिव, किसान संघर्ष समिति ने कहा कि तीनों कानून आंदोलन के दबाव में वापस किए गए हैं। देर आए दुरूस्त आए। हमारी बात और आशंका सही साबित हुई है। पांच राज्यों के चुनाव से ऐन पहले कानून वापस लिए हैं। इसके लिए किसान बधाई के पात्र हैं ,11 महीने का आंदोलन काम आया।