चम्बा – भूषण गुरुंग
काफी लंबे अंतराल के बाद फिर से एक बार देखने को मिला है कि चंबा शहर में पागल कुत्तों का आतंक हुआ हो, चंबा शहर व उसके आसपास करीब आधा दर्जन से भी ऊपर यह पागल कुत्ते बड़े बजुर्ग महिलाओं और लोगों के साथ छोटे छोटे स्कूली बच्चों को काट रहे है।
दोपहर की इस घटना का रंग अभी उतरा नहीं था कि अभी सांय साढ़े 6, बजे दो से तीन पागल कुत्तों ने फिर से एक बार हमला बोलते हुए दो लोगों पर झपट्टा मारकर उन्हें लहू लोहान कर दिया तो कुछ लोगों को टांगों से खा लिया। ऐसे में सभी आने जाने वाले लोगों के साथ दुकानदार भी सहमे हुए है। वह सभी लोग अपने हाथों में डंडे लेकर अपने साथ अपनी दुकान की भी सुरक्षा कर रहे है।
हाथों में डंडे लिए हुए यह वही लोग है जिनको आज के इन पागल कुत्तों के आतंक का पता चला है और साथ ही इन लोगों को अभी सांय इन्हीं पागल कुत्तों के आने और फिर से लोगों को काटने की खबर मिली है। सहमे यह लोग जोकि बाज़ार में आने वाले त्योहार की खरीदारी करने को निकले है पर जैसे ही इनको पागल कुत्तों के शहर में आने की खबर मिली है यह अपनी सुरक्षा को लेकर अपने हाथों में डंडे लेकर निकल पड़े है।
इनका कहना है कि अभी ही उनको इस बात की खबर मे है कि पागल कुत्ते फिर से शहर में प्रवेश कर चुके हैं और लोगों को काट रहे है इसलिए हम लोगों ने अपनी सुरक्षा को लेकर डंडे अपने हाथों में ले लिए है ताकि अपने साथ दूसरे की भी सुरक्षा की जा सके। इन लोगों के साथ दुकानदार भी डरे हुए है। उनका भी कहना है कि अभी सांय को जो पागल कुत्ते देखे गए थे उनमें से दो को तो मार डाला है,पर बच्चे हुए कुत्ते कब और किस समय हमला कर दे हम लोगों ने अपने हाथों में डंडे ले रखे है।
वहीं चंबा के प्रबुद्ध बुद्धि जीवियों ने भी इसको लेकर भारी चिंता व्यक्त की और कहा कि आज शहर में देखा जाए तो शहर वा उसके आसपास एक आतंक का माहौल इन पागल कुत्तों की वजह से बन चुका है,लोग अब शहर में आने से भी कतरा रहे है। उन्होंने कहा सरकारी आंकड़े के अनुसार करीब एक दर्जन लोगों को इन पागल कुत्तों ने काटा है पर उससे कहीं ज्यादा कई दर्जन मवेशियों को भी इन पागल कुत्तों ने अब तक काट खाया है।
उन्होंने जिला प्रशासन, स्वास्थ्य विभाग और उन जानवरों के सहायता समूह से भी आग्रह करते हुए कहा है कि प्रशासन को चाहिए किशोर में जो आवारा कुत्ते घूमते है उनके लिए भी ठीक से कोई व्यवस्था की जानी चाहिए क्योंकि मनुष्य के जीवन से बढ़कर कोई और जीवन नहीं है।
ऐसे में व्यवस्था के तौर पर इन जानवरों का समय समय पर टीकाकरण के साथ उनके रहने की भी ठीक से व्यवस्था प्रशासन को करनी चाहिए। ताकि शहर में जिस तरह से आज पागल कुत्तों का आतंक आज देखने को मिला वैसा फिर से न हो। इसी व्यवस्था प्रशासन को करनी चाहिए।