नूरपूर के प्रसिद्ध प्राचीन नागनी माता मन्दिर में श्रावण मास से शुरू हुए मेलों का हुआ समापन

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हर साल नागनी माता के होते हैं नौ मेले, एक मेले को मनाया जाता हैं जिला स्तरीय मेला, हजारों लाखों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचते है माता के द्वार

नूरपुर – सवर्ण राणा

नूरपूर के प्रसिद्ध प्राचीन नागनी माता मन्दिर में श्रावण मास से शुरू हुए मेलों का आज समापन हो गया ।यहां हर साल नागनी माता के नौ मेले होते हैं।

जिसमें एक मेले को जिला स्तरीय के रुप में भी मनाया जाता है। यहां हर साल मेलो के दौरान हजारों लाखों की संख्या में श्रद्धालु माता के दर्शनों को यहां पहुंचते हैं।

इन मेलों के दौरान माता नागनी सेवादल पिछले काफी सालों से अपनी सेवाएं दे रहा है।अन्तिम नौवें मेले के दौरान एक विशाल भंडारे का आयोजन होता है।

इस मन्दिर की मान्यता यह है कि माता रानी के दर पर शक्कर(मिट्टी) और पवित्र जल का लेप लगाने से सर्प के काटे विष का असर खत्म हो जाता है। श्रद्धालु यहां से माता की शक्कर और पवित्र जल लेकर अपने घरों को लेकर जाते हैं।

नागनी माता सेवादल सदस्य अंग्रेज सिंह ने कहा कि श्रावण मास के जेठे शनिवार से माता नागनी के मेलों की शुरुआत होती है।इसमें नौ मेले होते हैं जो श्रावण मास के हर शनिवार को होते हैं।

नागनी सेवादल सदस्य इन मेलों के दौरान हर शुक्रवार को रात को माता के मन्दिर आ जाते हैं और शनिवार मेले के दौरान हर सदस्य अपनी अपनी सेवाएं देता है।

जैसे कि मेलों के दौरान श्रद्धालुओं की दर्शनों के लिए लाइन लगवाना , श्रद्धालुओं को पानी की सेवा ,उनके जूते चप्पलों को रखना ,माता के दर पर सफ़ाई रखना इस प्रकार और कई सेवाएं देते हैं।

उन्होंने कहा कि आज नागनी माता का नौवा मेला है और इसी मेले के साथ ही नागनी माता के मेले समाप्त हो जाएंगे। हालांकि यहां पर लोगों का आना साल भर लगा रहता है।

इस नौ मेले के बाद समापन पर माता नागनी सेवादल एक विशाल भंडारे का आयोजन कर रही है। यह भंडारा माता नागनी सेवादल पिछले काफी सालों से नौ मेले के दौरान करवाती आ रही ।

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