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शिमला – नितिश पठानियां

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हिमाचल प्रदेश में नशा माफिया पर आने वाले दिनों में शिकंजा और ज्यादा कसने वाला है। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के नेतृत्व वाली सरकार ने नारकोटिक्स ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्स्टेंस (एनडीपीएस) एक्ट की धारा 37 में संशोधन कर इसे और सख्त बनाने के लिए मंगलवार को एक संकल्प पारित किया।

इस संकल्प में नशे के तमाम कारोबार को गैर जमानती बनाने का निर्णय लिया गया। ऐसे में नशीले पदार्थों की कम मात्रा का लाभ उठाकर माफिया कानून के शिकंजे से नहीं बच पाएगा। इस संबंध में उप मुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री ने सदन में संकल्प पेश किया।

ड्रग्स के खिलाफ जीरो टॉलरेंस नीति

संकल्प में प्रदेश को नशामुक्त बनाने के लिए ड्रग्स के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाने का फैसला किया गया। संकल्प में केंद्र सरकार से सिफारिश की गई है कि नशीले पदार्थों के नियंत्रण से संबंधित सभी एजेंसियों के सशक्तीकरण के लिए संस्थागत ढांचे को मजबूत करने की दिशा में केंद्रीय अधिनियम एनडीपीएस एक्ट 1985 में हिमाचल प्रदेश सरकार के प्रस्तावित संशोधन को शामिल किया जाए। इससे नशे और इसके कारोबार में शामिल अपराधियों पर सख्त कानूनी कार्रवाई की जा सकेगी।

अग्निहोत्री ने कहा कि संकल्प में नशीले पदार्थों के कारोबार को पूरी तरह गैर जमानती बनाने की सिफारिश की गई है। ऐसा करने वालों को 10 से 20 साल की कैद और न्यूनतम पांच लाख रुपये तक जुर्माना करने की सिफारिश की गई है। गैंग बनाकर नशे का कारोबार करने वालों को उम्रकैद और इससे अर्जित संपत्ति को जब्त करने की भी सिफारिश की गई है।

जिलास्तर पर होगा कमेटियों का गठन

उन्होंने आगे कहा कि नशे के कारोबार में संलिप्त लोगों के खिलाफ शिकंजा कसने के अलावा स्टेकहोल्डर को एक मंच पर लाने और राज्य व जिलास्तर पर कमेटियां गठित करने की सिफारिश की है। उन्होंने सभी विधायकों से आग्रह किया कि वे थाने में नशे के मामले में अपने प्रभाव का इस्तेमाल नहीं करेंगे। चिट्टे ने प्रदेश के युवाओं पर बड़ी संख्या में प्रभाव डाला है।

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