शिक्षा के क्षेत्र में निराशाजनक बजट, बजट में शिक्षा विरोधी सरकार के शिक्षा विरोधी फैसले:–नैंसी अटल
शिमला – नितिश पठानियां
अभाविप हिमाचल प्रदेश की प्रदेश मंत्री ने बयान जारी करते हुए कहा कि बजट किसी भी सरकार की आगामी नीतियों और गारंटियों को साकार करने का आईना होता है, लेकिन हाल ही में हिमाचल प्रदेश सरकार द्वारा पेश किए गए बजट में न तो कांग्रेस सरकार की चुनावी गारंटियों को पूरा करने के लिए कोई ठोस पहल की गई है और न ही प्रदेश की बिगड़ती कानून-व्यवस्था, बढ़ती बेरोजगारी और युवाओं में फैल रही नशाखोरी जैसी गंभीर समस्याओं का समाधान सुझाया गया है।
सत्ता में आने से पहले सरकार ने हर साल एक लाख युवाओं को रोजगार देने, 680 करोड़ रुपये के स्टार्टअप फंड की स्थापना, हर विधानसभा क्षेत्र में अंग्रेजी माध्यम स्कूल खोलने और युवाओं के विकास से जुड़ी अन्य गारंटियों का वादा किया था, लेकिन अब तक इनमें से कोई भी वादा जमीनी स्तर पर साकार नहीं हुआ है।
प्रदेश मंत्री नैंसी अटल ने कहा कि इसके अलावा, बजट में प्रदेश में शिक्षा की गुणवत्ता पर भी कोई चर्चा नहीं की गई है। यह एक और चिंताजनक मुद्दा है, खासकर जब से प्रदेश का युवा नेट, सेट जैसी परीक्षाएं उत्तीर्ण करने के बाद भी बेरोजगार है।
प्रदेश सरकार लगातार शिक्षा क्षेत्र में सरकारी नौकरियों को खत्म करने में लगी हुई है, जिससे युवाओं के लिए रोजगार के अवसर कम हो रहे हैं। वर्तमान समय में प्रदेश के हजारों युवा बी.एड व टेट की परीक्षा पास कर सरकारी नौकरी के इंतजार में हैं, लेकिन प्रदेश सरकार गेस्ट टीचर पॉलिसी को लागू कर उनके गले घोंटने का प्रयास कर रही है। यह एक अन्यायपूर्ण नीति है जो युवाओं के भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रही है।
विद्यार्थी परिषद विशेष रूप से मांग करती है कि प्रदेश सरकार अपने वादों को पूरा करने के लिए ठोस कदम उठाए और युवाओं को रोजगार के अवसर प्रदान करने के लिए एक व्यापक योजना बनाए। इसके अलावा, सरकार को शिक्षा की गुणवत्ता पर ध्यान देना चाहिए और युवाओं के भविष्य के लिए काम करना चाहिए।
शिक्षा नीति को लेकर भी सरकार की नीयत पर सवाल खड़े हो रहे हैं। कांग्रेस सरकार ने हर विधानसभा क्षेत्र में अंग्रेजी माध्यम स्कूल खोलने की घोषणा की थी, लेकिन पिछले तीन वर्षों में सैकड़ों सरकारी स्कूलों को बंद कर दिया गया है। चिंता की बात यह है कि सरकारी स्कूलों को बिना किसी व्यापक शोध या सर्वेक्षण के बंद किया जा रहा है, जिससे निजी स्कूलों का दबदबा बढ़ रहा है।
कई स्थानों पर देखा गया है कि जहां सरकारी स्कूल बंद किए गए हैं, वहीं निजी स्कूल तेजी से फल-फूल रहे हैं। शिक्षा बोर्ड और सरकारी नियमों के अनुसार, एक निश्चित दूरी के भीतर स्कूल खोलने की अनुमति दी जाती है, लेकिन यह नियम केवल सरकारी स्कूलों पर लागू होते हैं, जबकि निजी स्कूलों के विस्तार पर कोई स्पष्ट नियंत्रण नहीं है।
इससे सरकारी शिक्षा प्रणाली कमजोर हो रही है और निजी स्कूलों को अप्रत्यक्ष रूप से बढ़ावा मिल रहा है। सरकार को पहले निजी स्कूलों के अनियंत्रित विस्तार और सरकारी स्कूलों को बंद के प्रभावों का विश्लेषण करना चाहिए था। नैंसी अटल ने कहा कि सबसे अधिक चिंता युवाओं के लिए किए गए वादों को लेकर है। सरकार ने चुनावी घोषणा पत्र में हर साल एक लाख नौकरियां देने का आश्वासन दिया था, लेकिन बजट में यह संख्या घटाकर 25,000 कर दी गई।
इससे भी अधिक चिंता की बात यह है कि इन 25,000 नौकरियों की भर्ती प्रक्रिया भी अब तक शुरू नहीं हो सकी है, क्योंकि राज्य चयन आयोग, हमीरपुर लंबे समय से बंद पड़ा है। हिमाचल प्रदेश लोक सेवा आयोग (HPPSC) के माध्यम से जो भर्तियां हो रही हैं, वे वे ही हैं, जिनकी स्वीकृति पिछली सरकार द्वारा दी गई थी। इस स्थिति में बेरोजगार युवा खुद को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं, और रोजगार के अभाव में निराश होकर नशे की ओर आकर्षित हो रहे हैं।
हिमाचल प्रदेश में नशाखोरी, विशेषकर “चिट्टा ” (सिंथेटिक ड्रग) का बढ़ता प्रचलन एक गंभीर सामाजिक संकट बनता जा रहा है। प्रदेश में बेरोजगारी और आर्थिक अस्थिरता के कारण युवा तेजी से नशे की लत का शिकार हो रहे हैं, जिससे न केवल उनका भविष्य अंधकारमय हो रहा है, बल्कि कानून-व्यवस्था पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है।
दुर्भाग्यवश, हाल ही में प्रस्तुत बजट में सरकार ने इस विकराल समस्या के समाधान के लिए कोई ठोस नीति या वित्तीय प्रावधान नहीं किया है। सरकार को चाहिए कि वह नशे के अवैध व्यापार पर सख्ती से रोक लगाए, पुनर्वास केंद्रों का विस्तार करे और युवाओं के लिए शिक्षा एवं रोजगार के बेहतर अवसर सुनिश्चित करे, ताकि वे इस घातक प्रवृत्ति से बच सकें।
प्रदेश मंत्री नैंसी अटल ने कहा कि कांग्रेस सरकार तीन बजट पेश कर चुकी है, लेकिन आज भी उसकी दस में से एक भी गारंटी पूरी नहीं हुई है। जब प्रदेश सरकार सता में आई थी तब प्रदेश सरकार ने महिला वर्ग को 1500 प्रति महीना देने का भी वायदा किया था लेकिन आज तीसरे बजट में भी इस गारंटी की बात तक नहीं रखी गई।
महिला वर्ग आज भी ठगा हुआ महसूस कर रही है जनता के सामने किए गए लोकलुभावन वादे मात्र घोषणाओं तक सीमित रह गए हैं, जिनका कोई ठोस असर जमीनी स्तर पर नहीं दिख रहा है। इससे प्रदेश की जनता में निराशा और असंतोष लगातार बढ़ रहा है, जिससे सरकार की विश्वसनीयता पर भी गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं।