हिमखबर डेस्क
डा. राजेंद्र प्रसाद राजकीय आयुर्विज्ञान चिकित्सा महाविद्यालय टांडा अस्पताल के एक विभागाध्यक्ष डाक्टर को जिला सत्र न्यायालय ने एक साल की सजा सुनाई है। दोषी को एक वर्ष के लिए साधारण कारावास की सजा सुनाई तथा भारतीय दंड संहिता की धारा 354 के तहत एक हजार रुपए का जुर्माना लगाया गया है।
जुर्माना न चुकाने पर दोषी को इसके अतिरिक्त दो महीने की अवधि के लिए साधारण कारावास की सजा काटनी होगी और उसे भारतीय दंड संहिता की धारा 342 के तहत भी दो महीने के कारावास की अतिरिक्त सजा सुनाई। ये सभी सजाएं एक साथ चलेंगी।
घटना 15 वर्ष पहले 17 जनवरी, 2008 को घटी थी, जब बीएसई एमएलटी प्रथम वर्ष की छात्रा शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया था कि विभागाध्यक्ष डाक्टर ने गलत तरीके से उसे लैब से बाहर जाने से रोका। शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया था कि भोजन से लौटने के बाद आरोपी ने उसे लैब में बुलाया, जहां वह थायराइड का टेस्ट कर रहा था तथा उसकी सहेली से कहा कि उसकी ड्यूटी उसके साथ नहीं है।
इसके बाद उसकी सहेली शिकायतकर्ता को आरोपी के पास अकेला छोडक़र चली गई। शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया था कि आरोपी ने उसे टेस्ट ट्यूब कूड़ेदान में फेंकने तथा कमरे को अंदर से बंद करने को कहा तथा उसके बाद उसे पकड़ लिया और उसके बाद वह मौके से भाग गया।