फतेहपुर ,अनिल शर्मा
एक बात तो बीजेपी के आलाकमान से भी पूछनी चाहिए कि अगर कोई आज़ाद इलेक्शन लड़ के, पार्टी के कैंडिडेट को हरा के, फिर खुद अगली बार पार्टी में आ जाये और अपने आप को कैंडिडेट घोषित करे तो क्या उसे टिकट दे देनी चाहिये ये सवाल डॉ विवेक शर्मा ने पार्टी से पूछे जोकि विद्यार्थी जीवन से ही भाजपा के कार्यकर्ता रहे हैं।
विवेक शर्मा ने कहा कि हम सभी जानते हैं कि इस बार फिर से चुनाव आ गए हैं, फतेहपुर विधानसभा की किस्मत का फैसला एक बार फिर से जनता करने जा रही है, हर पार्टी का अपना चुनाब अभियान अपने मुद्दों पे लड़ा जा रहा है पर आज तक यह बिडंबना रही है फतेहपुर की कि जो भी विकास का मार्ग होता है लोग उसपे चलने से बंचित रह जाते हैं।
पिछले कुछ चुनावों पे गौर की जाये तो हमेशा कांटे की टक्कर बीजेपी और कांग्रेस के बीच ही रही एक तरफ जहां डॉ राजन सुशांत तो वहीँ सूजान सिंह पठानिया विधायक के पद पर रहे। एक ऐसा क्षेत्र जहां से कई बार हिमाचल मंत्रिमंडल को मंत्री भी दिए लेकिन फिर भी इस क्षेत्र का विकास नहीं हो पाया। इस बार का इलेक्शन इस लिए भी महत्वपूर्ण है जहां एक तरफ वर्तमान विधायक सुजान सिंह पठानिया जी स्वर्ग सिधार गए तो कांग्रेस की आपसी कलह भी जगजाहिर हो गयी।
लोग भी कह उठे कि इस बार परिवार वाद को समाप्त किया जाये और किसी युवा को मौका दिए जाना चाहिए। वहीँ इस बार बीजेपी में भी बहुत भीतर घात होने जा रहा जो पिछले कुछ इलेक्शन में भी देखने को मिला। आज अगर बात बीजेपी की जाये तो बहुत से कैंडिडेट बन के आगे आना शुरू हो गए हैं जिनका इतिहास जरा खंगाल के देखा जाये तो तस्वीर साफ़ हो जाएगी कि क्या राजनीति इसी का नाम रह गया है।
आज जो दशा बीजेपी की फतेहपुर विधानसभा में है उसका सीधा सीधा अगर आरोप लगाया जाये तो खुद बीजेपी के आला कमान ही इस दशा की जिम्मेदार रही है। महज लोगों को गुमराह किया गया और वार-वार किया जा रहा है जो कभी बीजेपी का साथ तन मन धन से देने की कसमें खाते थे वही जब टिकट नहीं मिली तो अपना कुनबा अलग करके आज़ाद इलेक्शन लड़ने चल पड़े और नुक्सान हर बार बीजेपी को ही उठाना पड़ा। पर ना जाने क्यों फिर भी बीजेपी को यह सब क्यों नहीं दिखता कि आखिर क्या होना चाहिये।
एक तरफ जब हम परिवारवाद की बात करते हैं तो डॉ राजन सुशांत ने भी अपना कद्द बहुत छोटा कर लिया, महज अपने परिवार को राजनीति में लाने के लिए आलाकमान से भीड़ गए जिसका नतीजा उनको पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया । वहीं 2012 के इलेक्शन की बात की जाये तो बलदेव ठाकुर को बीजेपी की टिकट दी गयी महज इसलिए कि वह राजपूत बिरादारी से सम्बन्ध रखते थे लेकिन नतीजा फिर भी वही रहा ढाक के दो पात हर बार सूजान सिंह पठानिया निर्विरोध कांग्रेस की तरफ से जीत जाते रहे। वहीँ अब इस बार बहुत से ऐसे कैंडिडेट बन के उभर रहे हैं जो हमेशा पार्टी के विपरीत इलेक्शन लड़े और काम भी बीजेपी के कैंडिडेट को हराने का ही किया लेकिन फिर से आज उनको पार्टी में ले कर उन्ही के नाम को आलाकमान में भेजा जा रहा ।
एक बात तो बीजेपी के आलाकमान से भी पूछनी चाहिए कि अगर कोई आज़ाद इलेक्शन लड़ के, पार्टी के कैंडिडेट को हरा के, फिर खुद अगली बार पार्टी में आ जाये और अपने आप को कैंडिडेट घोषित करे तो क्या उसे टिकट दे देनी चाहिये । यह एक प्रश्न आज हर एक फतेहपुर निवासी का बन गया है जिसका जवाब शायद आलाकमान को भी नहीं मिल पा रहा । अगर ऐसी ही बात है तो बीजेपी को डॉ राजन सुशांत को भी पार्टी में वापीसी करवा देनी चाहिए थी, क्यूंकि एक तरफ जब बलदेव ठाकुर और दूसरी तरफ पंकज हैप्पी को पार्टी में लिया गया तो किस तरह बीजेपी ने सब बजूद को ताक पे रख कर इन दोनों को पार्टी में लिया।
अगर इसी विचारधारा को ले कर चली रही बीजेपी तो यह कहना सही होगा कि आने वाला कल बागियों की फ़ौज बन के रह जायेगी बीजेपी का फतेहपुर हल्का। आज भी जरा वापिस मुड़ के देखा जाये तो वह लोग कुछ पीछे हट गए जो कभी बहुत एक्टिव थे बीजेपी तथा संघठन में ।
आगे डॉ विवेक शर्मा ने कहा कि आज दशा और दिशा से हम सब भटक से गए हैं और फतेहपुर विधानसभा क्षेत्र में लोग आलाकमान की तरफ देख रहे हैं कि इस बार उनका नुमायंदा कौन होगा क्या इस बार भी जातिगत राजनीति या क्षेत्रवाद को प्राथमिकता दी जाएगी, क्या इस बार भी किसी ऐसे इंसान के हाथों में कमान दे दी जाएगी जिसे खुद का एक लेटर लिखना या पढ़ना भी नहीं आता हो, या किसी ऐसे नेता को प्राथमिकता दी जाएगी जो हर बार पार्टी के विपरीत इलेक्क्शन लड़े हों और पार्टी को हराने का काम किया हो।
आपको बता दें कि डॉ विवेक शर्मा ने अपने प्रारंभिक शिक्षा हौरी देवी जो फतेहपुर विधानसभा क्षेत्र का सेंटर बिंदु है वहीँ से प्राप्त की, लगभग १० साल वहां पे रहे फिर धमेटा से +2 की पढ़ाई करके डी ए वी काँगड़ा से ग्रेजुएशन करते हुए आज उन्होंने पीएचडी की डिग्री पंजाबी यूनिवर्सिटी पटियाला व सी एस आई आर पालमपुर से प्राप्त की हुई है और हर बार बीजेपी के साथ कदम से कदम मिला के चलते रहे है। 2012 के इलेक्शन में उन्होंने बीजेपी समर्थित कैंडिडेट का भरपूर साथ दिए बल्कि डिबेट में भी वही बार्तालाप करते देखे गए थे, लेकिन आज वह कहते हैं कि सब कैंडिडेट अपने बारे में ही सोचते रहे किसी ने भी संघठन को मजबूत करने के बारे में नहीं सोचा उन्होंने एक प्रश्न बीजेपी के आलाकमान से यह भी किया है कि क्या फतेहपुर विधानसभा क्षेत्र में एक भी योग्य कैंडिडेट उनको नहीं मिल पाया या ढूंढ़ना ही नहीं चाहा कभी, जो बीजेपी का परचम लहरा सके और बीजेपी को भी चाहिए कि एक ऐसे युवा, तेजतर्रार बक्ता, पढ़े-लिखे कैंडिडेट को मैदान में उतारे जो गहराई तक राजनीति को समझता हो और जिन्होंने निस्वार्थ भाव से बीजेपी की सेवा की हो।
यहां तक मुद्दों की बात है आज तक गुमराह ही किया गया फतेहपुर को, चाहे वह डैम औसती का मुद्दा हो, चाहे वह रोजगार का हो, चाहे वह इंडस्ट्रीज का हो या विकास के नए काम हो जो आज तक धरातल पे नहीं ला सके जो भी लीडर रहे फतेहपुर की जनता के लिए। मूलभूत सुविधाओं को भी देखा जाये तो पास लगती विधानसभा क्षेत्र जहां विकास के नए आयाम लिख रहे हैं वहीँ फतेहपुर आज भी वहीँ पे खड़ा है यहां कल था ।
यह ऐसा क्षेत्र है जिसकी सीमाएं पंजाब से लगती हैं अगर सरकार चाहे तो बहुत से लघु उधोग लगाए जा सकते हैं, पर्यटन के क्षेत्र में भी फतेहपुर बहुत आगे निकल सकता है लेकिन जरुरत है तो सिर्फ एक सोच की जो आज की सोच हो युवा सोच हो जो आने वाली पीढ़ी के बारे में सोचे जो नए आयाम स्थापित कर सके एक ऐसा नेता आज फतेहपुर को चाहिये उन्होंने सीधे तौर पर कहा कि फतेहपुर के पुराने कार्यकर्ताओ को नजरअंदाज करके मौकापरस्त कार्यकर्ताओ को आगे किया जा रहा जोकि भविष्य के लिए ठीक नही है।
जब हमारे संवाददाता ने पूछा कि यदि टिकट आपको मिलती है तो आप क्या करेंगे तो विवेक शर्मा ने कहा कि यदि मुझे टिकट मिलती है तो मैं निश्चित रूप से पार्टी के पुराने तथा नए कार्यकर्ताओ को मनाकर युवा जोश के साथ आगे बढ़कर चुनाव लड़ूंगा तथा पार्टी की तरफ से जीत दर्ज करूँगा।