नाहन में भूखे-प्यासे घूमती रही हिमालयन कॉलेज आफ नर्सिंग (GNM) के तीसरे वर्ष की स्टूडेंट्स।
सिरमौर – नरेश कुमार राधे
फीस वसूली के चक्कर में हिमालयन कॉलेज आफ नर्सिंग ने जीएनएम (GNM) के तीसरे वर्ष की करीब 17 छात्रों का भविष्य दांव पर लगा दिया है।
परीक्षा फॉर्म भरने की अंतिम तारीख शुक्रवार को थी, लेकिन इन छात्राओं का परीक्षा फॉर्म नहीं भरा गया।
शुक्रवार को दिन भर यह छात्राएं नाहन में धक्के खाती रही। दोपहर 3 बजे बाद उपायुक्त सुमित खिमटा से छात्राओं की मुलाकात हुई।
हैरान कर देने वाली बात यह है कि प्रशासन के मुखिया की हस्तक्षेप के बावजूद भी हिमालयन कॉलेज ऑफ नर्सिंग की प्रधानाचार्य ने छात्राओं की एक बात भी नहीं मानी।
साफ तौर पर यह कह दिया है कि फीस जमा होने के बाद ही परीक्षा फॉर्म भरे जाएंगे।
दरअसल, मामले में पेंच यह है कि यह छात्राएं संस्थान में एक छात्रवृत्ति योजना के तहत शिक्षा ग्रहण कर रही हैं।
छात्राओं का कहना है कि दाखिले से पहले कहा गया था कि केवल एडमिशन फीस देनी होगी, लेकिन अब फीस का दबाव बनाया जा रहा है।
अधिकतर छात्र आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों से संबंध रखती हैं, ऐसे में लाखों की फीस नहीं जमा करवाई जा सकती है। संस्थान के प्रबंधन द्वारा अनुचित तरीके से दबाव बनाया जा रहा है।
उपायुक्त से मिलने के बाद यह छात्राएं सीधे संस्थान की प्रधानाचार्य के पास पहुंची। लेकिन प्रधानाचार्य ने इन छात्राओं को साफ शब्दों में यह कहा कि जहां जाना है… जिससे मिलना है…. मिल लो। लेकिन फीस तो जमा करनी ही पड़ेगी।
उन्होंने बताया कि परीक्षा 16 अक्टूबर से शुरू हो रही है। भूखी प्यासी छात्राएं पूरा दिन इधर से उधर गुहार लगाती रही। लेकिन शाम 5 बजे तक कोई न्याय नहीं मिल पाया था।
छात्राओं ने कहा कि फीस देने वालों को ही परीक्षा में बैठने की अनुमति दी जा रही है। छात्राओं ने बताया कि छात्रवृत्ति मिलते ही संस्थान को फीस अदा कर दी जाती है।
दीगर है कि हिमाचल प्रदेश के शैक्षणिक संस्थानों में व्यापक स्तर पर छात्रवृत्ति घोटाले को लेकर सीबीआई की लंबी जांच जारी है। इसकी जद में हिमालय संस्थान भी है।
छात्रों का कहना है कि छात्रवृत्ति मिलने के बाद संस्थान के खाते में राशि ट्रांसफर कर दी जाती है। छात्रवृत्ति घोटाले के बाद छात्रों को डायरेक्ट बैंक ट्रांसफर (DBT) प्रणाली के तहत छात्रवृत्ति दी जाती है। पहले यह छात्रवृत्ति संस्थाओं के खाते में आती थी।
छात्रों का कहना था कि उनसे लिखित तौर पर यह मांगा जा रहा है कि परीक्षा शुरू होने से पहले फीस की अदायगी कर दी जाएगी। इसके लिए संस्थान द्वारा आवेदन का नमूना भी दिया गया है।
लेकिन वह कतई भी लिखित नहीं देना चाहती, क्योंकि इससे आने वाले समय में उनकी दिक्कतें बढ़ सकती हैं।
हिमालयन ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशंस के वाइस चेयरमैन के बोल
उधर हिमालयन ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशंस के वाइस चेयरमैन विकास बंसल ने तमाम आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि शिक्षा ग्रहण करने के बाद फीस की अदायगी नहीं की जाती, छात्रवृत्ति की राशि सीधे छात्रों के ही खाते में आती है। फ़ीस अदा न करने वाले छात्रों की लिस्ट लंबी है।
उन्होंने कहा कि उपायुक्त से मिलने पहुंची छात्राओं ने पहले भी फीस अदा नहीं की है। इस कारण कड़ा कदम उठाना पड़ रहा है।
विकास बंसल ने कहा कि विगत में भी छात्रों द्वारा संस्थान की फीस नहीं अदा की गई। ऐसी स्थिति में संस्थान को संचालित करने में बेहद कठिनाई हो रही है।