चार वर्षीय इंटिग्रेटेड बीएड कोर्स पर रोक, आवेदनकर्ताओं के पैसे किए जाएंगे वापस

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व्यूरो, रिपोर्ट

देशभर में उच्च शैक्षणिक संस्थानों में नई शिक्षा नीति के तहत चार वर्षीय बीएड इंटिग्रेटेड कोर्स संचालित नहीं होंगे। राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) ने फिलहाल इस फैसले को स्थगित कर दिया है। एनसीटीई ने अपने आदेशों में उन संस्थानों की फार्म राशि व एफडीआर को भी लौटाने को कहा है, जिन्होंने चार वर्षीय एकीकृत अध्यापक शिक्षा कार्यक्रम को संचालित करने के लिए आवेदन किया था।

हिमाचल के सरकारी डिग्री कालेजों व 73 निजी बीएड कालेजों में भी इस कोर्स को संचालित करने की रूपरेखा बनाई जा रही थी तथा प्रदेश के कुछ बीएड कालेजों के प्रबंधकों की ओर से भी एनसीटीई को आवेदन किया था। केंद्र सरकार की नई शिक्षा नीति के तहत इसका प्रावधान किया गया था, किंतु अज्ञात कारणों से एनसीटीई ने इंटिग्रेटिड कोर्स को आगामी आदेशों तक स्थगित कर दिया है। देशभर के हजारों बीएड महाविद्यालयों में इस समय दो वर्षीय बीएड कोर्स चलाया जा रहा है।

इसकी संबंधता एनसीटीई तथा मान्यता प्रत्येक राज्य सरकार के विशेष विद्यालय द्वारा प्रदान की जाती है। बीए, बीकॉम या बीएससी की तीन वर्ष की डिग्री करने के बाद यदि किसी विद्यार्थी ने दो वर्ष का बीएड कोर्स भी करना हो, तो कुल पांच वर्ष का समय लग जाता है। लेकिन इंटिग्रेटिड कोर्स में जमा दो कक्षा के बाद डिग्री के साथ-साथ बीएड कोर्स को भी पूरा करवाने का प्रावधान किया गया था।

इससे विद्यार्थी का एक वर्ष का समय कम लगने वाला था, किंतु इस वर्ष शुरू होने वाले चार वर्षीय उक्त कोर्स को आगामी आदेशों तक टाल दिया गया है। सूत्रों के अनुसार इस चार वर्षीय इंटिग्रेटिड कोर्स को संचालित करने के लिए शिक्षा नीति में कई तकनीकी खामियां सामने आ रही थीं।

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