कभी रहे थे विधायक अब मोची बनकर कर रहे गुजारा

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बिलासपुर- सुभाष चंदेल

धन दौलत की चकाचौंध से शाही अंदाज में जीवन यापन करने वाले आधुनिक समय के विधायकों के लिए सदर बिलासपुर विधानसभा चुनाव क्षेत्र के पहले विधायक सरदाररू राम किसी बड़े प्रेरणा स्रोत से कम नहीं हैं|

हम आपको थोड़ा विस्तार से बताना चाहेंगे प्रदेश के बिलासपुर सदर विधनसभा क्षेत्र के पहले विधायक सरदारू राम ने ना केवल ईमानदार विधायक के रूप में 05 साल काम किया बल्कि चुनाव हारने के बाद पेंशन सुविधा ना होने के चलते मोची का काम कर परिवार का भरण पोषण भी किया।

आपको बता दें कि 01 जुलाई 1954 को भारतीय संसद के एक एक्ट के द्वारा बिलासपुर को हिमाचल प्रदेश का पांचवा जिला बनाया गया था इससे पूर्व बिलासपुर कहलूर रियासत के नाम जाना जाता था जिसके अंतिम राजा आनंद चांद थे. सन 1957 को हुए चुनाव में बिलासपुर सदर सीट से सरदारू राम विधानसभा सदस्य चुनकर गए और 05 सालों तक उन्होंने जनसेवा कर सरकार की योजनाओं को जनता तक पहुंचाने का काम किया.

कांग्रेस पार्टी से सम्बन्ध रखने वाले सरदारू राम ने अपने कार्यकाल में अपना व परिवार का हित अलग रखकर लोगों के लिए काम किया और जब सन 1962 में वह चुनाव हार गए तो पेंशन सुविधा ना होने के चलते मोची का काम करना शुरू कर दिया. वहीं सरदारू राम ने अपने परिवार के लिए एक मिट्टी का घर बनाया जो आज भी बिलासपुर के औहर देखने को मिलता है.

सरदारू राम की मृत्यु के बाद उनके बेटे प्रीतम उर्फ मीनू राम ने भी भगेड चौक पर मोची की दुकान कर अपने परिवार का पालन पोषण किया. वहीं अब मीनू राम 70 वर्ष के हो चुके है और बुढ़ापे में आंखें कमजोर होने के चलते मोची का काम छोड़ घर पर रहते है. वहीं मीनू राम के दो बेटे है देवराज व दिनेश दोनों ही मेहनत मजदूरी कर ईमानदारी के साथ जीवन यापन कर रहे है. वहीं बिलासपुर सदर से पूर्व विधायक रहे बाबूराम गौतम ने बताया कि विधायक सरदारू राम एक साधारण से इंसान थे और उन्होंने विधायक रहते लोगों की खूब सेवा की थी इस का नतीजा है कि उनका परिवार आज भी साधारण जिंदगी जी रहा है.

वहीं सरदारू राम की बहू व मीनू राम की धर्मपत्नी बिमला देवी का कहना है कि उनके परिवार में सभी ईमानदार व मेहनती लोग है जिस पर उन्हें गर्व है लेकिन उन्हें एक बात का मलाल हमेशा रहेगा कि प्रदेश में कांग्रेस व बीजेपी किसी भी सरकार ने उनकी आर्थिक मदद नहीं कि और ना ही उनके बेटों को कहीं रोजगार मिल पाया जिससे आज उनके हालात काफी माली है.

वहीं पूर्व विधायक बाबूराम गौतम ने भी प्रदेश सरकार से पूर्व विधायक सरदारू राम के परिवार की मदद करने की अपील करते हुए कहीं रोजगार उपलब्ध करवाने की अपील की है ताकि सरदारू राम की ईमानदारी का फल उनके परिवार को मिल सके.

गौरतलब है कि हिमाचल प्रदेश की 68 विधानसभा सीटों पर कई कांग्रेस व बीजेपी नेता विधायक बने है जिनकी संपत्ति आज लाखों-करोड़ों में है और उनके परिवार का कोई न कोई सदस्य सरकारी नौकरी में भी सेवाएं दे रहा है ऐसे में सरदारू राम का परिवार ईमानदारी की एक ऐसी मिसाल है जो आने वाले युवा नेताओं, विधायकों व मंत्रियों के लिए किसी उदाहरण से कम नहीं की चुनाव जीतना जनसेवा का काम है और आप ईमानदारी से अपना कर्तव्य निभाएंगे तो जनता आपको हमेशा याद रखेगी।

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