शिमला – नितिश पठानियां
हाल ही में राज्य सरकार द्वारा पुलिस कर्मियों की निगम की बसों में यात्रा को लेकर निर्णय लिया गया, जिसके मुताबिक पुलिस कर्मियों को टिकट लेना होगा। इसके बाद निर्णय पर सवाल उठने शुरू हो गए। अब निगम के कर्मचारी संगठनों की भी प्रतिक्रिया आने लगी है।
हिमाचल स्टेट एचआरटीसी कंडक्टर यूनियन के उप प्रधान नवीन ठाकुर ने कहा हाल ही में हिमाचल पथ परिवहन निगम के ड्राइवरों और कंडक्टरों पर पुलिस कर्मियों द्वारा यह आरोप लगाया गया कि वे अपनी ड्यूटी के दौरान घर जाते हैं और इसलिए उनका किराया लगना चाहिए।
ठाकुर ने कहा कि इस बयान के बाद कई प्रश्न उठ रहे हैं, विशेष रूप से निगम के कर्मचारियों और पुलिस के बीच यात्रा भत्ते और वेतन संबंधी अंतर पर एचआरटीसी के कर्मचारियों का कहना है कि उन्हें यात्रा भत्ता नहीं दिया जाता है।
इसके विपरीत, पुलिसकर्मियों को हिमाचल पथ परिवहन निगम की बसों में पूरे महीने यात्रा करने के लिए मात्र ₹200 का भत्ता देना होता है। इससे उन्हें राज्यभर में मुफ्त यात्रा करने की सुविधा मिलती है।
इसके अलावा, पुलिसकर्मियों को 13 महीने की सैलरी दी जाती है, जबकि हिमाचल पथ परिवहन निगम के कर्मचारियों को केवल 12 महीने की सैलरी प्राप्त होती है। इस असमानता को लेकर निगम के कर्मचारी नाखुश हैं।
नवीन ठाकुर ने कहा कि ड्यूटी की बात करें तो हिमाचल प्रदेश पथ परिवहन निगम व पुलिस विभाग के कर्मियों की ड्यूटी 24 घंटे की होती है। हालांकि, पुलिस जवान केवल हिमाचल प्रदेश के भीतर ही अपनी सेवाएं देते हैं, जबकि एचआरटीसी के कर्मचारी राजस्थान, जम्मू-कश्मीर, पंजाब, हरियाणा, उत्तराखंड और दिल्ली जैसे अन्य राज्यों में भी सेवाएं देते हैं।
एचआरटीसी कर्मचारियों का कहना है कि उनकी दूरगामी सेवाओं को नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए। वे मांग कर रहे हैं कि सरकार उनकी यात्रा भत्ता और वेतन संबंधी समस्याओं का समाधान करें, ताकि वे बिना किसी भेदभाव के अपनी सेवाएँ जारी रख सकें।