शिमला – नितिश पठानियां
हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने एचआरटीसी में बतौर कंडक्टर 20 साल की सेवा अवधि पूरी करने पर दो अतिरिक्त इंक्रीमेंट का लाभ देने के आदेश दिए हैं। न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान और न्यायाधीश सुशील कुकरेजा के खंडपीठ ने एचआरटीसी की ओर से जारी 27 अप्रैल 2023 के कार्यालय आदेश, 17 अक्तूबर 2022 की अधिसूचना और 27 जनवरी 2023 के पत्र को रद्द कर दिया है, जिसके माध्यम से याचिकाकर्ता को यह लाभ देने से इन्कार किया गया था।
याचिकाकर्ता का तर्क था कि उन्होंने 20 साल से अधिक अवधि की सेवा पूरी कर ली है। इसलिए उन्हें 10 सितंबर 2015 की अधिसूचना के तहत दो अतिरिक्त इंक्रीमेंट के लाभ दिए जाएं, जिसमें सेवानिवृत्ति के बाद के लाभ भी शामिल हैं। वहीं प्रतिवादी एचआरटीसी ने इस दावे को खारिज करते हुए कहा कि उन्होंने 10 सितंबर 2015 की पिछली अधिसूचना को 17 अक्तूबर 2022 के अधिसूचना के माध्यम से वापस ले लिया था।
हाईकोर्ट ने पाया कि दो अतिरिक्त इंक्रीमेंट वाला मुद्दा पहले ही 29 नवंबर 2021 को तय हो चुका है। उस मामले में समान लाभ सुरेश कुमार और अन्य को दिए गए थे। कोर्ट ने कहा कि जब प्रतिवादी यह स्वीकार कर चुके हैं कि दो अतिरिक्त इंक्रीमेंट का मुद्दा सुरेश कुमार के मामले के तहत आता है तो वह याचिकाकर्ताओं को उसके अर्जित अधिकार से वंचित नहीं कर सकते। अदालत ने याचिकाओं का निपटारा करते हुए यह आदेश पारित किए हैं।
हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता को अधीक्षक ग्रेड-वन पर पदोन्नत करने के दिए निर्देश
हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता को अधीक्षक ग्रेड वन पर पदोन्नत करने के निर्देश दिए हैं। साथ ही विभाग को दो सप्ताह के भीतर विभागीय पदोन्नति समिति (डीपीसी) की बैठक बुलाकर नए सिरे से याचिकाकर्ता की पदोन्नति पर विचार करने के आदेश दिए।
न्यायाधीश संदीप शर्मा की एकल पीठ ने विभाग की 1 दिसंबर 2022 को हुई डीपीसी की कार्यवाही को रद्द कर दिया, जिसमें याचिकाकर्ता को अधीक्षक ग्रेड वन पर पदोन्नति से इन्कार कर दिया गया उनकी पिछली पदोन्नति को भी गलत ठहराया था।
अदालत ने कहा कि याची की पदोन्नति को 2 दिसंबर 2022 से प्रभावी माना जाए। याचिकाकर्ता 1990 में दैनिक वेतनभोगी क्लर्क के रूप में नियुक्त हुए थे। मई 2010 में सीनियर असिस्टेंट और 1 जनवरी 2018 को अधीक्षक ग्रेड 2 के रूप में पदोन्नत हुए।
अधीक्षक ग्रेड वन की पदोन्नति के लिए उन्होंने 2021 में हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। उस याचिका में कोर्ट ने 25 नवंबर 2022 को निर्देश दिया था कि उनके मामले में 2 दिसंबर 2022 तक अधीक्षक ग्रेड वन की पदोन्नति के लिए विचार किया जाए।
हालांकि, कोर्ट के आदेशों के बाद विभाग ने न केवल उन्हें अधीक्षक ग्रेड वन के लिए अयोग्य पाया, बल्कि उनकी सीनियर असिस्टेंट और अधीक्षक ग्रेड 2 के रूप में पिछली पदोन्नति को भी गलत ठहराया। डीपीसी ने कहा कि वह 21 दिसंबर 2022 के बाद ही सुपरिंटेंडेंट ग्रेड 2 की पदोन्नति के लिए पात्र होंगे।
याचिकाकर्ता ने इस डीपीसी कार्यवाही को चुनौती देते हुए याचिका दायर की। हाईकोर्ट ने कहा कि डीपीसी ने कोर्ट के पिछले आदेशों का उल्लंघन किया है। डीपीसी को केवल अधीक्षक ग्रेड वन के पद पर पदोन्नति के लिए उनकी पात्रता पर विचार करना चाहिए था।
न्यायालय ने कहा कि भले ही याचिकाकर्ता ने सिफारिश के लिए ट्रस्ट के अध्यक्ष के समक्ष अपील दायर की थी, लेकिन यह कोर्ट को इस मामले पर विचार करने से नहीं रोक सकती। खासकर तब जब यह कोर्ट के पहले के निर्देशों के उल्लंघन से संबंधित है।
कोर्ट ने डीपीसी की कार्यवाही को रद्द करते हुए विभाग को याचिकाकर्ता अश्वनी कुमार के मामले में शीघ्रता से विचार करने और 2 दिसंबर 2022 से प्रभावित सुपरिंटेंडेंट ग्रेड वन के पद पर उनकी पदोन्नति के संबंध में आवश्यक आदेश पारित करने के निर्देश दिए हैं।
कार्डियोलॉजी सीवीएस, यूरोलॉजी विभाग को नहीं किया जाएगा शिफ्ट
प्रदेश हाईकोर्ट ने आईजीएमसी शिमला से सुपर स्पेशलिटी चमियाना में कार्डियोलॉजी सीवीएस और यूरोलॉजी विभाग को फिलहाल शिफ्ट से रोक दिया है। मुख्य न्यायाधीश गुरमीत सिंह संधावालिया और न्यायाधीश रंजन शर्मा की खंडपीठ ने खराब मौसम और भारी बारिश को देखते हुए यह फैसला लिया है।
महाधिवक्ता की ओर से अदालत को बताया गया कि विभाग के 27 जून के आदेशों के तहत उक्त विभागों को तीन दिनों के भीतर चमियाना स्थानांतरण किया जाना था, लेकिन मेडिकल सुपरिंटेंडेंट के निर्देशों के अनुसार अब स्थानांतरण को अस्थाई तौर पर स्थगित कर दिया गया है। मामले की अगली सुनवाई 31 जुलाई को होगी।