हिमाचल को 28 अक्टूबर 2016 को खुले में शौचमुक्त घोषित कर दिया लेकिन हकीकत कुछ और ही बयां कर रही है। पांच वर्ष बीतने के बाद भी ग्रामीण इलाकों के साथ शहरी क्षेत्रों में दूसरे राज्यों के मजदूर व अन्य लोग खुले में शौच कर रहे हैं।
शिमला-जसपाल ठाकुर
देवभूमि हिमाचल को 28 अक्टूबर, 2016 को खुले में शौचमुक्त घोषित कर दिया गया, लेकिन हकीकत कुछ और ही बयां कर रही है। पांच वर्ष बीतने के बाद भी ग्रामीण इलाकों के साथ शहरी क्षेत्रों में दूसरे राज्यों के मजदूर व अन्य लोग खुले में शौच कर रहे हैं। शौचालय तो बन गए हैं, लेकिन उनकी स्वच्छता सवालों के घेरे में है।
शहरी क्षेत्रों में ही काफी शौचालय ऐसे हैं जिनकी सफाई उचित न होने से हालात खराब हैं। पंचायतों में भी सार्वजनिक शौचालयों का अभाव है। बस स्टाप या रेनशेल्टर के आसपास भी सार्वजनिक शौचालय नहीं बनाए गए हैं। प्रदेश के खुले में शौचमुक्त घोषित होने के बाद सार्वजनिक व अन्य शौचालय स्वच्छ भारत मिशन और मनरेगा के तहत बनाए जा रहे हैं।
2018 के सर्वे के अनुसार शहरी क्षेत्र में 6609 व्यक्तिगत और 876 सार्वजनिक शौचालय बनाए जाने थे। इसकी अपेक्षा अभी तक 6693 व्यक्तिगत और 1422 सार्वजनिक शौचालय बनाए गए। दूसरे राज्यों से आने वाले मजदूर एक ही कमरे में आठ से दस की संख्या में रह रहे हैं और शौचालय के लिए खुले में जाने के लिए मजबूर होते हैं। यह हालत शहर व ग्रामीण क्षेत्रों में भी है।
2012-13 में व्यक्तिगत शौचालय पर हुआ सर्वे
प्रदेश में 2012-13 में व्यक्तिगत शौचालय पर सर्वे हुआ। इसमें 2,02,541 व्यक्तिगत शौचालय का लक्ष्य मिला और इसे अक्टूबर 2016 में हासिल कर लिया। ग्रामीण क्षेत्रों में मनरेगा के तहत शौचालय बन रहे हैं। जिला आधार पर 25719 व्यक्तिगत शौचालय निर्धारित हैं, जिनमें से 5681 का निर्माण किया गया है।
नहीं किया जाता सार्वजनिक शौचालय का उपयोग
दूसरे प्रदेशों से आए मजदूर और स्थानीय लोग भी पैसे बचाने के चक्कर में सार्वजनिक शौचालयों का प्रयोग नहीं कर रहे हैं। इस कारण भी बाह्य शौचमुक्त अभियान के दावे हवा हो रहे हैं। सवाल यह है कि दिहाड़ी लगाकर गुजारा करने वाले मजदूर का परिवार पैसे देकर हर दिन शौचालय कैसे जा पाएगा।
मनमोहन शर्मा, निदेशक शहरी विकास विभाग के बोल
प्रदेश के शहरी निकायों में हुए सर्वे के आधार पर 101 फीसद व्यक्तिगत और 162 फीसद सार्वजनिक शौचालयों का निर्माण किया गया है। अब शौचालयों को आकर्षक बनाने के साथ उनकी स्वच्छता पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है।
वीरेंद्र कंवर, ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्री हिमाचल प्रदेश का कहना
ग्रामीण क्षेत्रों में बनने वाले नए घरों और लोगों की जरूरत के आधार पर शौचालयों का निर्माण किया जा रहा है। पंचायतघरों में शौचालयों का निर्माण आवश्यक किया गया है। सार्वजनिक शौचालयों का भी निर्माण किया जा रहा है।